आधुनिक भारत के इतिहास लेखन से संबंधित इतिहासकारों में ‘डॉ. काली किंकर दत्त’ का महत्वपूर्ण स्थान है। डॉ.दत्त ने मुख्यतः आधुनिक बिहार और बंगाल के इतिहास के प्राय: सभी पहलुओं पर गहन शोध किया। वे, बिहार एवं उड़ीसा प्रांत द्वारा जारी शोध छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले प्रथम शोधार्थी थे।
डॉ. दत्त का जन्म 5 मई 1905 को वर्तमान ‘झारखंड’ राज्य स्थित ‘पाकुर’ जिला के ‘झिकरहाटी’ नामक गांव में हुआ था। इनके पिता ‘सदानंद दत्त’ उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे।
डॉ.काली किंकर दत्त ने 1927 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर किया। 1928 में उन्होंने ‘डॉ. सुविमल चंद्र सरकार’ के निर्देशन में 18वीं सदी के बंगाल के सामाजिक और आर्थिक इतिहास पर शोध किया, जिसके लिए उन्हें 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की ‘प्रेमचंद राय छात्रवृत्ति’ प्राप्त हुई। जुलाई 1930 में पटना कॉलेज में डॉ. दत्त इतिहास के व्याख्याता नियुक्त हुए। ‘Aliverdi and his times(अलीवर्दी एंड हिज टाइम्स)’, नामक शोध-प्रबंध पर 1931 में उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय से पी.एच.डी की उपाधि मिली। डॉ. दत्त 1945 – 58 ,तक पटना कॉलेज में इतिहास के विभागाध्यक्ष रहे और 1958 में वे पटना कॉलेज के प्राचार्य बने। इस पद से डॉ. दत्त ने 1960 में अवकाश ग्रहण किया। 1962 में मगध विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और डॉ. काली किंकर दत्त को उपकुलपति (वर्तमान कुलपति के समकक्ष) बनाया गया। 1965 में इस कार्यकाल की पूर्णता के बाद डॉ. दत्त पटना विश्वविद्यालय के उप कुलपति नियुक्त किए गए तथा इस पद से उन्होंने दो पूर्ण सेवाकाल के बाद 1971 में सेवानिवृत्ति प्राप्त की।
डॉ. काली किंकर दत्त, बिहार राज्य एवं देश के अनेक इतिहास विषयक संस्थाओं से भी विभिन्न कार्य रूपों से संबद्ध थे। ‘काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान’, ‘बिहार राज्य अभिलेखागार’, ‘रीजनल रिकॉर्ड सर्वे कमेटी ऑफ बिहार’, ‘बिहार रिसर्च सोसायटी’, पटना विश्वविद्यालय का ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग’, ‘अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान’ आदि संस्थाओें के संस्थापन में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। डॉ. दत्त ‘खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी’, ‘श्रीमती राधिका इंस्टीट्यूट’ एवं ‘सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी’, ‘रामकृष्ण मिशन (पटना)’, ‘गांधी संग्रहालय’ आदि के साथ भी दीर्घावधि तक जुड़े रहे। ‘भारतीय इतिहास कांग्रेस’ के स्थापना काल से ही वे इस संस्था से जुड़े थे तथा इसके 1943 में हुए अधिवेशन में उन्होंने आधुनिक इतिहास खंड का सभापतित्व किया। डॉ. दत्त 1958 में इस संस्था के अध्यक्ष बने और सचिव भी रहे। वे, द ऑल इंडिया रिकॉर्ड्स कमीशन के सक्रिय एवं महत्वपूर्ण कॉरस्पॉडिंग मेंबर थे।
डॉ.के.के.दत्त के नेतृत्व में बिहार रिसर्च सोसाइटी का काफी विकास हुआ और कई वर्षों तक वे मद्रास स्थित इंडो ब्रिटिश हिस्टोरिकल सोसायटी के निदेशक रहे।डॉ काली किंकर दत्त को अपनी विद्वता के लिए काफी सम्मान मिला। उन्हें मोआट स्वर्ण पदक, और ग्रिफिथ पुरस्कार तथा एशियाटिक सोसाइटी कलकत्ता के द्वारा यदुनाथ स्वर्ण पदक मिला। वर्द्धमान विश्वविद्यालय ने डॉ. दत्त को डी. लिट की मानद उपाधि प्रदान की। डॉ. दत्त बिहार रिसर्च सोसायटी शोध पत्रिका के प्रधान संपादक भी थे।
डॉ काली किंकर दत्त का आलेखन संसार काफी विशाल था। उनके द्वारा लिखित पुस्तकों को कई रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, यथा – (A) स्वतंत्र लेखक के रूप में लिखित पुस्तकें, (B) अन्य लेखकों के साथ संयुक्त रुप से रचित पुस्तकें,
(C) कार्यालयीय दायित्व के अंतर्गत संपादित पुस्तकें,
(D) सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था के अनुरोध पर संपादित पुस्तकें,
(E) सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था के अनुरोध पर लिखित पुस्तकें।
अन्य लेखकों के साथ संयुक्त रूप से लिखित पुस्तकें
डॉ. दत्त ने कई पाठ्य पुस्तकों की रचना की जिनमें डॉ सुविमल चंद्र सरकार के साथ लिखी गई, ‘Textbook of Morden Indian History (टेक्स्ट बुक ऑफ मॉडर्न इंडियन हिस्ट्री)’, आधुनिक भारतीय इतिहास पर किसी भारतीय इतिहासकार द्वारा लिखी गई, इस विषय की पहली पुस्तक है। ‘डॉ रमेश चंद्र मजूमदार’, और ‘डॉ. हेमचंद्र रायचौधरी’ के साथ लिखित, ‘An Advanced History of India (एन एडवांसड हिस्ट्री ऑफ इंडिया)’ भारतीय इतिहास के तीनों कालखंड की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसका अनुवाद भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ ‘श्रीलंका’ की ‘सिंहली’ भाषा में भी हुआ है। डॉ.दत्त ने ‘बिहार टेक्स्ट बुक कमेटी’ द्वारा 10वीं और 11वीं कक्षा के लिए प्रकाशित, ‘विश्व इतिहास की रूपरेखा भाग 2’ नामक पुस्तक ‘राम शरण शर्मा’ के साथ तथा ‘भारत का आधुनिक इतिहास’ नामक पुस्तक, ‘डॉक्टर योगेंद्र मिश्र’ और ‘मुनेश्वर प्रसाद’ के साथ संयुक्त रूप में लिखी।
डॉ. काली किंकर दत्त द्वारा स्वतंत्र रूप से लिखित पुस्तकें
1. Studies in the History of Bengal Sooba (स्टडीज इन द हिस्ट्री ऑफ द बंगाल सूबा).
2. The Santhal Insurrection of 1885 – 57 (द संथाल इनसरेक्शन ऑफ 1855 – 57).
3. The Dutch in Bengal and Bihar 1740 -1825 A.D. (द डच इन बंगाल एंड
बिहार 1740 -1825 A.D).
4. India’s march to freedom 1931 -1947 (इंडियाज मार्च टू फ्रीडम 1931 -1947)
5. Survey of India’s social life and economic condition in the 18th century 1707 – 1813 (सर्वे ऑफ इंडियाज सोशल लाइफ एंड इकोनॉमिक कंडीशन इन द एटिंथ सेंचुरी 1707- 1813)
6. Shah Alam II and the East India Company (शाह आलम II एंड द ईस्ट इंडिया कंपनी)
7. Siraj-ud-Daula (सिराज-उद-दौला)
8. Anti British plots and movements before 1857 (एंटी ब्रिटिश प्लॉट्स एंड मूवमेंट्स बिफोर 1857)
9. Alivardi and his times (अलीवर्दी एंड हिज टाइम्स)
10. A social history of Modern India (ए सोशल हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न इंडिया)
डॉ. काली किंकर दत्त द्वारा स्वतंत्र रूप से लिखित इन पुस्तकों में शामिल Shah Alam II and the East India Company में मुगल प्रभुत्व के अंत और भारत पर ब्रिटिश प्रभुत्व के प्रादुर्भाव का वर्णन है। Siraj ud Daula में उन्होंने उसका विस्तृत जीवन वृत्त लिखा है तथा Anti British plots and movements before 1857 में इस विद्रोह के पूर्व सौ साल की अवधि में हुए विद्रोहो का अध्ययन है। Aliverdi and his times पी. एच. डी. की उपाधि हेतु कलकत्ता विश्वविद्यालय में समर्पित उनका शोध प्रबंध था, इसमें उन्होंने 18वीं सदी के बंगाल के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक पहलुओं पर विचार किया है। A social history of Modern India मे शिक्षा, नारी शिक्षा, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक कुरीतियों पर रोक, विवाह सुधार आंदोलन आदि का विवरण है।
कार्यालयीय दायित्व के अंतर्गत संपादित पुस्तकें
डॉ. काली किंकर दत्त की इस श्रेणी की पुस्तकों में शामिल हैं
1. Selection from unpublished Correspondences of Judge – Magistrate and Judge of Patna,
2. Unrest against British rule in Bihar,
3. Writings and Speeches of Mahatma Gandhi relating to Bihar (1917-1947),
4. Some Farmans, Sanads and Parwanas (1718-1802),
5. Catalogue of Commissioners records selections from the Judicial records of the Bhagalpur District.
सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था के अनुरोध पर संपादित पुस्तकें
डॉ. दत्त की इन पुस्तकों में शामिल हैं,
1. Introduction of Bihar
2. Fort William India house correspondences ( I ).
3. Comprehensive History of Bihar ( III ).
4. Comprehensive History of India ( XI ).
सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था के अनुरोध पर लिखित पुस्तकें
डॉ. दत्त ने इस श्रेणी में भी कई पुस्तकों का लेखन कार्य किया
1. A survey of recent studies on Modern Indian History (रॉकफेलर फाउंडेशन).
2. History of the freedom movement in Bihar (बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित). यह पुस्तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी हेतु मुख्य स्रोत है तथा डॉ. दत्त की एक अन्य पुस्तक Gandhi ji in Bihar, एक दूसरे की पूरक है।
3. Biography of Kunwar Singh and Amar Singh (के. पी. जायसवाल शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित).
डॉ.काली किंकर दत्त की प्रसिद्धि उनके लेखन कार्य पर आधारित है। लेखन कार्य में उनकी इतनी बड़ी सफलता का कारण था, शोध और लेखन कार्य में अपना पूर्ण योगदान देना, जो उनके जीवन में कभी बाधित नहीं हुआ। 1945 – 46 से ‘रीजनल रेकर्डस सर्वे कमिटी’ के लिए डॉ. दत्त द्वारा तैयार किया गया, वार्षिक प्रतिवेदन पुस्तिका के रूप में निकलता रहा, जो आधुनिक काल के शोधार्थियों के लिए मूल सामग्रियों तक पहुंचने का साधन है। यद्यपि उन्होंने काफी लेखन कार्य किया पर उन्होंने इतिहास की व्याख्या नहीं की। उनका पूरा लेखन बिहार के आधुनिक इतिहास लेखन के क्षेत्र में नीव का पत्थर सदृश्य है। अध्ययन-अध्यापन-अन्वेषण और लेखन के अनेकानेक पक्षों को संभालता हुआ उनका
सक्रिय जीवन उनकी मृत्यु के दिन 24 मार्च 1982 तक गतिशील बना रहा।