Third Semester

Indian Liberal Historian : Kali Kinkar Dutt

आधुनिक भारत के इतिहास लेखन से संबंधित इतिहासकारों में ‘डॉ. काली किंकर दत्त’ का महत्वपूर्ण स्थान है। डॉ.दत्त ने मुख्यतः आधुनिक बिहार और बंगाल के इतिहास के प्राय: सभी पहलुओं पर गहन शोध किया। वे, बिहार एवं उड़ीसा प्रांत द्वारा जारी शोध छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले प्रथम शोधार्थी थे। डॉ. दत्त का जन्म 5 मई […]

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Harshwardhana

हर्षचरित : एक ऐतिहासिक कृति

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‘बाणभट्ट’ ने अन्य दरबारी लेखकों की बातें ‘हर्षचरित’ में ‘हर्ष’ की उपलब्धियों का अतिश्योक्तिपूर्ण विवरण नहीं दिया है। ‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ में उल्लेखित तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक शैक्षणिक और अन्य संदर्भों से ‘बाणभट्ट’ की एक इतिहासकार की छवि और उसकी कृतियों की ऐतिहासिकता पुष्ट होती है। इनमें ‘बाण’ ने समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति, प्रव्रज्या प्राप्त

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Harshacharita

हर्षचरित की विवेचना

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‘हर्षचरित’ की रचना का उद्देश्य एक इतिहासकार का उद्देश्य, अतीत का सत्यान्वेषण होता है लेकिन ‘बाणभट्ट’ द्वारा ‘हर्षचरित’ की रचना का औचित्य सिद्ध करने के प्रयास से यह संकेत मिलता है कि इसमें उल्लेखित कुछ तथ्य यथार्थ से परे हैं। ‘श्रीराम गोयल’ ने अपनी पुस्तक, “हर्ष शिलादित्य” – “एक नवीन राजनीतिक सांस्कृतिक अध्ययन”, में ‘हर्षचरित’

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बाणभट्ट : इतिहास-पुराण के प्रतिनिधि

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‘बाणभट्ट’ , प्राचीन भारत में विकसित ‘इतिहास-पुराण’ परंपरा के प्रतिनिधि लेखक थे। महाकवि ‘बाण’ का आविर्भाव सातवीं सदी के आरंभ में हुआ था। वह ‘भार्गव’ वंशी ब्राह्मण थे। प्राचीन ग्रंथों में इस तथ्य का बारंबार उल्लेख हुआ है कि ‘इतिहास-पुराण’ परंपरा के वाहक ‘भार्गव’ कुल के होते थे। अत: इतिहास लेखन उनके वंश की परंपरा

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‘जियाउद्दीन बरनी’ की रचनाओं में तथ्यों के प्रस्तुतिकरण की शैली

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‘बरनी’ ने ‘तारीख- ए-फिरोजशाही’ , 1357-1358 ईस्वी, में पूरी की। उनकी रचना मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन के विकास को दर्शाती है। इसमें उन्होंने केवल हिंदुस्तान के मुस्लिम शासकों एवं सत्ता को अपने विवरण का केंद्र बनाया है। इस कृति के विभिन्न अध्याय अलग-अलग शासनकाल पर आधारित है और वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करते

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एक इतिहासकार के रूप में ‘जियाउद्दीन बरनी’ का मूल्यांकन

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एक इतिहासकार के रूप में ‘बरनी’ का मूल्यांकन उनकी —  इतिहास विषयक अवधारणा, रचनाओं के उद्देश्य, सूचना स्रोत और तथ्यों के प्रस्तुतीकरण की शैली के परिप्रेक्ष्य में किया जा सकता है। इतिहास विषयक अवधारणा और रचनाओं के उद्देश्य  —  बरनी ने इतिहास संबंधी अपने विचारों और उद्देश्यों का विस्तृत उल्लेख ‘तारीख ए फिरोजशाही’ की भूमिका

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जियाउद्दीन बरनी

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‘जियाउद्दीन बरनी’ की गणना मध्यकालीन विशेषकर ‘दिल्ली-सल्तनत’ के महानतम इतिहासकारों में की जाती है। एक विषय के रूप में इतिहास के प्रति ‘बरनी’ काफी आदर भाव रखते थे, उनके अनुसार — “इतिहास की नीव सत्यवादिता पर टिकी होती है, इतिहास लोगों को ईश्वरीय वचनों, कार्यों तथा शासकों के सत्कार्यों से परिचित कराता है। इतिहासकार को

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