History of Early Civilizations and Medieval World

मेसोपोटामिया की सभ्यता : स्रोत

‘ताम्र-कांस्ययुगीन’ उत्कृष्ट सभ्यताओं का उदय नदी घाटियों में हुआ था। पश्चिमी एशिया में दजला-फरात नदी की घाटी में जिस सभ्यता का उदय और उत्कर्ष हुआ, उसे ‘मेसोपोटामिया’ की सभ्यता कहते हैं। मेसोपोटामिया दो शब्दोें मेसो+ पोटाम से बना है, जिसमें ‘मेसो’ का अर्थ ‘मध्य’ और ‘पोटाम’ का अर्थ नदी होता है। अतएव ‘मेसोपोटामिया’ का शाब्दिक […]

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हम्मूराबी की ‘विधि-संहिता’

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संभवत: ‘हम्मूराबी’ की ‘विधि-संहिता’ इतिहास की प्राचीनतम ‘विधि-संहिता’ है, जो अखंड रूप में मिली है। ‘हम्मूराबी’ ने अपनी संहिता को स्थाई रूप देने के लिए, उसे लगभग 8 फीट ऊंचे पाषाण स्तंभ पर 360 पंक्तियों में उत्कीर्ण करवा कर ‘बेबीलोन’ में ‘मर्दुक’ के ‘मंदिर-ए-सागिल’ में स्थापित किया था। यद्यपि संहिता का निर्माण आवश्यकता के आधार

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‘हम्मूराबी’ का न्याय-प्रशासन

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‘हम्मूराबी’ एक श्रेष्ठ  प्रशासक था। उसने ‘मेसोपोटामिया’ की सभ्यता में प्रचलित स्वतंत्र ‘नगर-राज्यों’ की परंपरा को समाप्त कर, सम्राट और केंद्रीय सत्ता के अधीन केंद्रीकृत बेबीलोनियन साम्राज्य की स्थापना की। बेबिलोनिया को सैन्य दृष्टि से शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य उसने नागरिकों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा की व्यवस्था की। ‘मारी’ नगर के उत्खनन से प्रचुर

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‘हम्मूराबी’ के सैन्य अभियान

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‘हम्मूराबी’ द्वारा बेबिलोनियन साम्राज्य की स्थापना हेतु किए गए सैन्य अभियानों को दो कालखंडों में विभाजित किया जा सकता है। हम्मूराबी का प्रथम सैन्य अभियान ‘हम्मूराबी’ ने अपनी राज्यारोहण के 6 वर्षों के बाद, प्रथम सैन्य अभियान प्रारंभ किया। अभियान के पूर्व के वर्षों में उसने सैन्य संगठन किया और देश में आंतरिक सुधारों तथा

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हम्मूराबी: एक परिचय

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प्राचीन मेसोपोटामिया के इतिहास में सुमेरियनो को निर्णायक रूप से परास्त कर बेबीलोन में स्वतंत्र ‘पश्चिमी सेमाइट राजवंश’ की संस्थापक जाति, (अमर्रु,अमोराइट, केनानी या बेबीलोनियन) के छठे शासक तथा बेबीलोनियन साम्राज्य निर्माता ‘हम्मूराबी’ का शासनकाल राज्य विस्तार, प्रशासनिक संगठन और सांस्कृतिक विकास की दृष्टि से सर्वाधिक गौरवशाली काल था। ‘हम्मूराबी’ का लगभग 42 वर्षों का

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अखनाटन : प्रकृति पर आधारित एकेश्वरवाद

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‘अखनाटन’ प्राचीन मिस्र ही नहीं अपितु विश्व इतिहास का सबसे विलक्षण शासक था।उसने बहुदेववाद तथा धार्मिक भ्रष्टाचार और धर्म का राजनीति पर अवांछनीय प्रभाव को समाप्त कर कर्मकांडों से मुक्त एकेश्वरवाद ‘एटन’ की उपासना को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया।  मिस्र विद्या विशारद ‘जेम्स हेनरी ब्रेस्टेड’ और ‘आर्थर वीगल’ की मान्यता है कि — ‘अखनाटन’

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अखनाटन के धार्मिक नवाचार : ‘एटनवाद’ की विशिष्टताएं

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‘अखनाटन’ द्वारा प्रवर्तित एवं स्थापित धार्मिक नवाचारों एवं सिद्धांतों की विशिष्टताएं – 1. एकेश्वरवाद ‘मिस्र’ विद्या विशारदो के मध्य यह विवादित प्रश्न है कि क्या ‘एटनवाद’ को पूर्ण ‘अद्वैतवाद’ अथवा ‘एकेश्वरवाद’ माना जाए अथवा इसे सहिष्णु एकेश्वरवाद, धार्मिक पंथों के मध्य समन्वय तथा एकाधिदेववाद की श्रेणी में रखा जाए। कुछ विद्वानों के मतानुसार ‘अखनाटन’ का

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अखनाटन का धर्म ‘एटनवाद’

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प्रारंभ में ‘अखनाटन’ ने मिस्रवासियों के समक्ष ‘एटन’ को पारंपरिक सर्वोच्च देवता ‘Amun-Ra’ के एक प्रतिरूप के रूप में प्रस्तुत किया। अपने धार्मिक विचारों का सामंजस्य प्राचीन मिस्री धार्मिक परंपराओं से करने के लिए उसने,  ‘सूर्य-चक्र’  को ‘एटन’ नाम दिया तथा उसका नवीन देवता अपने पूर्ण स्वरूप में ‘Ra-Horus’ था। ‘Donald B. Redford’ ने अखनाटन

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अखनाटन एक धर्मप्रवर्तक

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प्राचीन मिस्र में 18 वें राजवंश के फराओ ‘अमेनहोटेप IV या अखनाटन’ को ‘जेम्स हेनरी ब्रेस्टेड’ ने इतिहास का प्रथम ‘एकेश्वरवादी’ कहा है। ‘अखनाटन’ को विश्व का महान आदर्शवादी विचारक, अज्ञेय, रहस्यपूर्ण , क्रांतिकारी और इतिहास के प्रथम विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में वर्णित किया जाता है, लेकिन उसे विधर्मी, पाखंडी, कट्टरपंथी तथा विक्षिप्त भी

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मिस्र के इतिहास के अध्ययन के स्रोत

प्राचीन विश्व की नदी घाटी सभ्यताओ  में से एक “मिस्र की सभ्यता”, नील नदी की घाटी में उदित,पल्लवित और संवर्धित हुई थी। मिस्र अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर पश्चिम में नील नदी द्वारा सिंचित एक छोटा देश है।मिस्र मूलत: लीबियन रेगिस्तान का एक भाग है, जिसके मध्यवर्ती भाग में नील नदी द्वारा सिंचित एक उर्वर भू पट्टी

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