Post Graduate

Use and Misuse of History

किसी भी विषय का उपयोग तथा दुरुपयोग उसके क्रियान्वयन पर निर्भर करता है। इतिहास भी मानव समाज के लिए अत्यंत उपयोगी है परंतु महत्वाकांक्षी व्यक्तियों द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए इसका दुरुपयोग किए जाने से यह विषय भी कुछ अंशो में अनुपयोगी सिद्ध हो गया है। इतिहास की उपयोगिता अथवा अन उपयोगिता की विवेचना के […]

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Early Historians of India : Kalhana

भारत के प्राचीन इतिहास लेखन में कल्हण को अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है कल्हण ने कश्मीर के इतिहास से संबद्ध प्रसिद्ध पुस्तक राजतरंगिणी की रचना की थी। कल्हण का जन्म संभवत: 12 वीं शताब्दी के प्रारंभिक कालखंड में, कश्मीर में स्थित एक स्थान, परिहासपोर में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसके पिता चनपक

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Indian Marxists Historian : D.D.Kosambi

प्राचीन भारत के आधुनिक इतिहासकारों में ‘दामोदर धर्मानंद कोसांबी का एक विशिष्ट स्थान है। यद्यपि डॉ. कोसांबी मुख्यत: गणित एवं आनुवांशिकी के विद्वान थे तथापि वे इतिहास, पुरातत्व, नृतत्त्व-विज्ञान, मुद्रा-शास्त्र,अभिलेख, काव्य, साहित्य आदि ज्ञान के विभिन्न अनुशासनो एवं भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन से

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Indian Liberal Historian : Kali Kinkar Dutt

आधुनिक भारत के इतिहास लेखन से संबंधित इतिहासकारों में ‘डॉ. काली किंकर दत्त’ का महत्वपूर्ण स्थान है। डॉ.दत्त ने मुख्यतः आधुनिक बिहार और बंगाल के इतिहास के प्राय: सभी पहलुओं पर गहन शोध किया। वे, बिहार एवं उड़ीसा प्रांत द्वारा जारी शोध छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले प्रथम शोधार्थी थे। डॉ. दत्त का जन्म 5 मई

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मेसोपोटामिया की सभ्यता : स्रोत

‘ताम्र-कांस्ययुगीन’ उत्कृष्ट सभ्यताओं का उदय नदी घाटियों में हुआ था। पश्चिमी एशिया में दजला-फरात नदी की घाटी में जिस सभ्यता का उदय और उत्कर्ष हुआ, उसे ‘मेसोपोटामिया’ की सभ्यता कहते हैं। मेसोपोटामिया दो शब्दोें मेसो+ पोटाम से बना है, जिसमें ‘मेसो’ का अर्थ ‘मध्य’ और ‘पोटाम’ का अर्थ नदी होता है। अतएव ‘मेसोपोटामिया’ का शाब्दिक

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Decline of Assyrian Empire

This entry is part 1 of 1 in the series Decline of Assyrian Empire

असीरिया की सभ्यता ताम्र – कांस्य युगीन  मेसोपोटामिया में विकसित प्रमुख सभ्यता थी।21वीं शताब्दी ई. पू – 14 वीं शताब्दी ई.पू. तक एक नगर राज्य के रूप में अस्तित्व में रहा असीरियाई राज्य, इसके बाद क्षेत्रीय राजनीतिक शक्ति मे और 14 वीं – 7 वीं शताब्दी ई. पू. तक एक साम्राज्य में परिणत हो गया

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सोवियत संघ के विघटन से उत्पन्न परिस्थितियां

This entry is part 6 of 6 in the series सोवियत संघ का विघटन

सोवियत संघ के विघटन से उत्पन्न परिस्थितियां सोवियत संघ की सेना प्रारंभ में ‘CIS’, के नियंत्रण में रहीं परंतु शीघ्र ही स्वतंत्र नवोदित राष्ट्रों की पृथक-पृथक सेना के रूप में विभक्त हो गई । कुछ अन्य सोवियत संस्थाएं “जिसका अधिग्रहण रूस द्वारा नहीं किया गया” 1991 के अंत के साथ उनका कार्य समाप्त हो गया

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सोवियत संघ के विघटन की समय रेखा

This entry is part 5 of 6 in the series सोवियत संघ का विघटन

सोवियत संघ के विघटन की समय रेखा ‘मिखाईल गोर्बाचोव’, के तख्तापलट का प्रयास सोवियत संघ के विघटन में अंतिम आघात सिद्ध हुआ। गोर्बाचोव ने पार्टी के महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया तथा येल्तसिन ने  6 नवंबर 1991 को एक शासनादेश के द्वारा रूस की धरती पर कम्युनिस्ट पार्टी की सभी गतिविधियों को प्रतिबंधित

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सोवियत संघ के विघटन के कारक

This entry is part 4 of 6 in the series सोवियत संघ का विघटन

सोवियत संघ के विघटन का आरंभ करने वाले कारक 1. संप्रभुता की परेड (The parade of sovereignties) सोवियत संघ के गणराज्यों के द्वारा, 1988 – 1991 के मध्य, अपनी संप्रभुता घोषित किए जाने का एक क्रम था। ये संप्रभुता वैधानिक शर्तों पर आधारित थी, जिसमें गणराज्य की आंतरिक संप्रभुता को सोवियत संघ के केंद्रीकृत वैधानिक

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साम्यवाद की विफलता

This entry is part 3 of 6 in the series सोवियत संघ का विघटन

सोवियत संघ के ‘East Block’ में साम्यवाद की विफलता मिखाईल गोर्बाचोव, सोवियत संघ के ‘Satellite States’ अर्थात औपचारिक रूप से स्वतंत्र परंतु राजनीतिक,आर्थिक दृष्टि से, सोवियत संघ के प्रभाव और नियंत्रण वाले देशों में साम्यवादी शासन के प्रति हो रही विद्रोही गतिविधियों के प्रति तटस्थ रहा। इससे पहले लियोनिड ब्रेझनेव की विदेश नीति में, Soviet

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