Dr. Jyoti Sinha

Dr. Jyoti Sinha Assistant Professor Head of Department (PG) Department of History Ramlakhan Singh Yadav College, Patliputra University, Patna, Bihar

स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)

This entry is part 3 of 11 in the series स्पेन का गृहयुद्ध

जनरल ‘मिग्रयल प्राइमो ड रिवेरा’ का कार्यकाल सत्ता ग्रहण के पश्चात ‘रिवेरा’ ने सैनिक निदेशक मंडल का गठन कर संपूर्ण राष्ट्र में सैनिक-कानून लागू कर दिया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित, न्यायिक तंत्र में ‘जूरी’ के प्रावधान को प्रतिबंधित और समस्त म्युनिसिपलो एवं स्वायत्त संस्थाओं को भंग कर उसने ‘कैटेलोनिया’ के पृथकतावादी आंदोलन का दमन […]

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स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि

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19 वीं सदी से ही स्पेन राजनीतिक-सामाजिक अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा था। 1812 में स्पेन में संविधान लागू हुआ,जिसने राजा के अधिकार को सीमित कर उदारवादी राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर किया लेकिन ‘राजा फर्डिनेंड VII’ द्वारा संविधान को निरस्त तथा ‘Trienio liberal government’ को अपदस्थ करने के बाद ‘1814 –

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स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय

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‘स्पेन का गृहयुद्ध (Spanish Civil War)’ स्पेन में 1936 -1939 के मध्य स्पेन के ‘गणतंत्रवादियो (Republicans)’ और ‘राष्ट्रवादियों (Nationalists)’ के मध्य हुआ सशस्त्र सत्ता-संघर्ष था। स्पेन में गृहयुद्ध आरंभ होने के समय ‘मेनुअल अजाना’ के नेतृत्व में ‘पॉपुलर फ्रंट’ की सरकार थी, जिसे ‘कोर्टेस (संसद)’ में कम्युनिस्ट और सोशलिस्ट पार्टियों का समर्थन था। ‘स्पेन’ के

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Harshwardhana

हर्षचरित : एक ऐतिहासिक कृति

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‘बाणभट्ट’ ने अन्य दरबारी लेखकों की बातें ‘हर्षचरित’ में ‘हर्ष’ की उपलब्धियों का अतिश्योक्तिपूर्ण विवरण नहीं दिया है। ‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ में उल्लेखित तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक शैक्षणिक और अन्य संदर्भों से ‘बाणभट्ट’ की एक इतिहासकार की छवि और उसकी कृतियों की ऐतिहासिकता पुष्ट होती है। इनमें ‘बाण’ ने समाज के विभिन्न वर्गों की स्थिति, प्रव्रज्या प्राप्त

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Harshacharita

हर्षचरित की विवेचना

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‘हर्षचरित’ की रचना का उद्देश्य एक इतिहासकार का उद्देश्य, अतीत का सत्यान्वेषण होता है लेकिन ‘बाणभट्ट’ द्वारा ‘हर्षचरित’ की रचना का औचित्य सिद्ध करने के प्रयास से यह संकेत मिलता है कि इसमें उल्लेखित कुछ तथ्य यथार्थ से परे हैं। ‘श्रीराम गोयल’ ने अपनी पुस्तक, “हर्ष शिलादित्य” – “एक नवीन राजनीतिक सांस्कृतिक अध्ययन”, में ‘हर्षचरित’

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बाणभट्ट : इतिहास-पुराण के प्रतिनिधि

This entry is part 1 of 3 in the series बाणभट्ट : हर्षचरित

‘बाणभट्ट’ , प्राचीन भारत में विकसित ‘इतिहास-पुराण’ परंपरा के प्रतिनिधि लेखक थे। महाकवि ‘बाण’ का आविर्भाव सातवीं सदी के आरंभ में हुआ था। वह ‘भार्गव’ वंशी ब्राह्मण थे। प्राचीन ग्रंथों में इस तथ्य का बारंबार उल्लेख हुआ है कि ‘इतिहास-पुराण’ परंपरा के वाहक ‘भार्गव’ कुल के होते थे। अत: इतिहास लेखन उनके वंश की परंपरा

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अखनाटन : प्रकृति पर आधारित एकेश्वरवाद

This entry is part 4 of 4 in the series अखनाटन का एटनवाद

‘अखनाटन’ प्राचीन मिस्र ही नहीं अपितु विश्व इतिहास का सबसे विलक्षण शासक था।उसने बहुदेववाद तथा धार्मिक भ्रष्टाचार और धर्म का राजनीति पर अवांछनीय प्रभाव को समाप्त कर कर्मकांडों से मुक्त एकेश्वरवाद ‘एटन’ की उपासना को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया।  मिस्र विद्या विशारद ‘जेम्स हेनरी ब्रेस्टेड’ और ‘आर्थर वीगल’ की मान्यता है कि — ‘अखनाटन’

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अखनाटन के धार्मिक नवाचार : ‘एटनवाद’ की विशिष्टताएं

This entry is part 3 of 4 in the series अखनाटन का एटनवाद

‘अखनाटन’ द्वारा प्रवर्तित एवं स्थापित धार्मिक नवाचारों एवं सिद्धांतों की विशिष्टताएं – 1. एकेश्वरवाद ‘मिस्र’ विद्या विशारदो के मध्य यह विवादित प्रश्न है कि क्या ‘एटनवाद’ को पूर्ण ‘अद्वैतवाद’ अथवा ‘एकेश्वरवाद’ माना जाए अथवा इसे सहिष्णु एकेश्वरवाद, धार्मिक पंथों के मध्य समन्वय तथा एकाधिदेववाद की श्रेणी में रखा जाए। कुछ विद्वानों के मतानुसार ‘अखनाटन’ का

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अखनाटन का धर्म ‘एटनवाद’

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प्रारंभ में ‘अखनाटन’ ने मिस्रवासियों के समक्ष ‘एटन’ को पारंपरिक सर्वोच्च देवता ‘Amun-Ra’ के एक प्रतिरूप के रूप में प्रस्तुत किया। अपने धार्मिक विचारों का सामंजस्य प्राचीन मिस्री धार्मिक परंपराओं से करने के लिए उसने,  ‘सूर्य-चक्र’  को ‘एटन’ नाम दिया तथा उसका नवीन देवता अपने पूर्ण स्वरूप में ‘Ra-Horus’ था। ‘Donald B. Redford’ ने अखनाटन

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अखनाटन एक धर्मप्रवर्तक

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प्राचीन मिस्र में 18 वें राजवंश के फराओ ‘अमेनहोटेप IV या अखनाटन’ को ‘जेम्स हेनरी ब्रेस्टेड’ ने इतिहास का प्रथम ‘एकेश्वरवादी’ कहा है। ‘अखनाटन’ को विश्व का महान आदर्शवादी विचारक, अज्ञेय, रहस्यपूर्ण , क्रांतिकारी और इतिहास के प्रथम विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में वर्णित किया जाता है, लेकिन उसे विधर्मी, पाखंडी, कट्टरपंथी तथा विक्षिप्त भी

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