Dr. Jyoti Sinha

Dr. Jyoti Sinha Assistant Professor Head of Department (PG) Department of History Ramlakhan Singh Yadav College, Patliputra University, Patna, Bihar

नेपोलियन बोनापार्ट की पुनर्वापसी और अंतिम निर्वासन

This entry is part 5 of 6 in the series वियना कांग्रेस

वियना में आयोजित सम्मेलन के दौरान घटित एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में फरवरी 1815 में नेपोलियन बोनापार्ट के, ‘एल्बा द्वीप’ की कैद से भाग कर फ्रांस वापसी और फ्रांसीसी जनता के समर्थन से पुन: फ्रांस की सत्ता प्राप्त करने की घटना से पुन: युद्ध का आरंभ हो गया। वियना कांग्रेस में शामिल राष्ट्रों ने 9 जून […]

नेपोलियन बोनापार्ट की पुनर्वापसी और अंतिम निर्वासन Read More »

वियना कांग्रेस अनुबंध का प्रारूप

This entry is part 4 of 6 in the series वियना कांग्रेस

वियना कांग्रेस में शामिल राष्ट्रों ने 9 जून 1815 को संधि के मसौदे पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर कर दिया। वियना कांग्रेस में हुए अनुबंधों के अंतिम प्रारूप में पेरिस की प्रथम शांति संधि के अतिरिक्त पृथक रूप से हुई अन्य सभी द्विपक्षीय संधियों को संगठित किया गया। वियना में हुए अनुबंधों का अंतिम प्रारूप

वियना कांग्रेस अनुबंध का प्रारूप Read More »

वियना कांग्रेस के लक्ष्य

This entry is part 3 of 6 in the series वियना कांग्रेस

वियना कांग्रेस के सदस्य राष्ट्रों में पारस्परिक मतभेदों के बावजूद सभी फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के विरोधी थे तथा 1789 से 1815 तक की घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए प्रयासरत थे नेपोलियन के सैन्य अभियानों से यूरोप का विशेषकर मध्य यूरोप का राजनीतिक ढांचा और शक्ति संतुलन बदल गया था। अतः मध्य यूरोप की

वियना कांग्रेस के लक्ष्य Read More »

वियना कांग्रेस के निर्णयकर्ता

This entry is part 2 of 6 in the series वियना कांग्रेस

वस्तुतः वियना कॉन्ग्रेस वास्तविक अर्थों में एक औपचारिक कांग्रेस नहीं थी क्योंकि ना कभी इसका उद्घाटन हुआ और ना ही एक सभा के तौर पर समस्याओं पर विचार के लिए इसकी बैठके  हुई बल्कि निर्णय विजेता राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने ही मुख्य रूप से लिए। वियना में यूरोप के सभी राज्यों के प्रतिनिधि मंडल थे

वियना कांग्रेस के निर्णयकर्ता Read More »

वियना कांग्रेस की पृष्ठभूमि

This entry is part 1 of 6 in the series वियना कांग्रेस

यूरोपीय इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘वियना कांग्रेस’ का आयोजन ‘सितंबर 1814 – जून 1815’ के मध्य, नेपोलियन के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली, यूरोपीय शक्तियों के द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य था – नेपोलियन के युद्धों से परिवर्तित, यूरोपीय मानचित्र की पुनर्व्यवस्था और इस व्यवस्था की भविष्य में सुरक्षा के लिए

वियना कांग्रेस की पृष्ठभूमि Read More »

हम्मूराबी की ‘विधि-संहिता’

This entry is part 4 of 4 in the series हम्मूराबी

संभवत: ‘हम्मूराबी’ की ‘विधि-संहिता’ इतिहास की प्राचीनतम ‘विधि-संहिता’ है, जो अखंड रूप में मिली है। ‘हम्मूराबी’ ने अपनी संहिता को स्थाई रूप देने के लिए, उसे लगभग 8 फीट ऊंचे पाषाण स्तंभ पर 360 पंक्तियों में उत्कीर्ण करवा कर ‘बेबीलोन’ में ‘मर्दुक’ के ‘मंदिर-ए-सागिल’ में स्थापित किया था। यद्यपि संहिता का निर्माण आवश्यकता के आधार

हम्मूराबी की ‘विधि-संहिता’ Read More »

‘हम्मूराबी’ का न्याय-प्रशासन

This entry is part 3 of 4 in the series हम्मूराबी

‘हम्मूराबी’ एक श्रेष्ठ  प्रशासक था। उसने ‘मेसोपोटामिया’ की सभ्यता में प्रचलित स्वतंत्र ‘नगर-राज्यों’ की परंपरा को समाप्त कर, सम्राट और केंद्रीय सत्ता के अधीन केंद्रीकृत बेबीलोनियन साम्राज्य की स्थापना की। बेबिलोनिया को सैन्य दृष्टि से शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य उसने नागरिकों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा की व्यवस्था की। ‘मारी’ नगर के उत्खनन से प्रचुर

‘हम्मूराबी’ का न्याय-प्रशासन Read More »

‘हम्मूराबी’ के सैन्य अभियान

This entry is part 2 of 4 in the series हम्मूराबी

‘हम्मूराबी’ द्वारा बेबिलोनियन साम्राज्य की स्थापना हेतु किए गए सैन्य अभियानों को दो कालखंडों में विभाजित किया जा सकता है। हम्मूराबी का प्रथम सैन्य अभियान ‘हम्मूराबी’ ने अपनी राज्यारोहण के 6 वर्षों के बाद, प्रथम सैन्य अभियान प्रारंभ किया। अभियान के पूर्व के वर्षों में उसने सैन्य संगठन किया और देश में आंतरिक सुधारों तथा

‘हम्मूराबी’ के सैन्य अभियान Read More »

हम्मूराबी: एक परिचय

This entry is part 1 of 4 in the series हम्मूराबी

प्राचीन मेसोपोटामिया के इतिहास में सुमेरियनो को निर्णायक रूप से परास्त कर बेबीलोन में स्वतंत्र ‘पश्चिमी सेमाइट राजवंश’ की संस्थापक जाति, (अमर्रु,अमोराइट, केनानी या बेबीलोनियन) के छठे शासक तथा बेबीलोनियन साम्राज्य निर्माता ‘हम्मूराबी’ का शासनकाल राज्य विस्तार, प्रशासनिक संगठन और सांस्कृतिक विकास की दृष्टि से सर्वाधिक गौरवशाली काल था। ‘हम्मूराबी’ का लगभग 42 वर्षों का

हम्मूराबी: एक परिचय Read More »

अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव

This entry is part 11 of 11 in the series स्पेन का गृहयुद्ध

फ्रांको की गृहयुद्ध में विजय ‘धुरी-राष्ट्रों’ अर्थात ‘इटली’ एवं ‘जर्मनी’ तथा ‘फासिस्ट-विचारधारा’ की विजय थी तथा गृहयुद्ध के बाद स्पेन की विदेश नीति पूर्ण रूप से ‘जर्मनी’, ‘इटली’ और ‘पुर्तगाल’ की ओर केंद्रित हो गई। 1939 में स्पेन सरकार ने ‘जर्मनी’ और ‘जापान’ के बीच हुए ‘कामिंटर्न – विरोधी’ समझौते पर हस्ताक्षर किया। वस्तुत: ‘स्पेन’

अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव Read More »

Scroll to Top