Dr. Jyoti Sinha

Dr. Jyoti Sinha Assistant Professor Head of Department (PG) Department of History Ramlakhan Singh Yadav College, Patliputra University, Patna, Bihar

सोवियत संघ का विघटन

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सोवियत संघ में विघटनकारी प्रवृत्तियों का प्रादुर्भाव 1977 अक्टूबर में तीसरे ‘सोवियत संविधान’ को सर्वसम्मति से लागू किया गया लेकिन 1980 के दशक के आरंभ तक ‘सोवियत कम्युनिस्ट (साम्यवादी) पार्टी’, जराजन्य प्रवृत्तियों के प्रभाव में आ चुकी थी। ‘लियोनिड ब्रेझनेव’ लंबे कार्यकाल के बाद जीवन के आखिरी वर्षों में अपने पूर्व जुझारू व्यक्तित्व की धुंधली […]

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सोवियत संघ क्या है?

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सोवियत संघ का परिचय सोवियत संघ (USSR) का औपचारिक नाम “सोवियत समाजवादी गणतंत्रो का संघ” या “Union of Soviet Socialist Republic” था। ‘सोवियत’ रूसी भाषा का एक शब्द है, जिसका अभिप्राय परिषद, सभा, सलाह और सद्भाव होता है। सोवियत संघ उत्तरी यूरेशिया के विशाल भू-भाग पर विस्तृत, एक अंतरमहाद्वीपीय देश था। यह 22,402,200 वर्ग किलोमीटर 

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वियना कांग्रेस का मूल्यांकन

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वियना कांग्रेस के प्रावधान यूरोपीय राष्ट्रों के राजनीतिक संबंधों में युगांतकारी परिवर्तन के प्रेरक थे। वियना के राजनयिकों ने अतीत को पुनर्जीवित करने के प्रयास को निरर्थक मानकर पवित्र रोमन साम्राज्य की पुनर्स्थापना की कोशिश नहीं की तथा 300 पोप शासित राज्यों का 39 राज्यों में पुनर्गठन ने जर्मनी के भावी एकीकरण  का मार्ग प्रशस्त

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नेपोलियन बोनापार्ट की पुनर्वापसी और अंतिम निर्वासन

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वियना में आयोजित सम्मेलन के दौरान घटित एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में फरवरी 1815 में नेपोलियन बोनापार्ट के, ‘एल्बा द्वीप’ की कैद से भाग कर फ्रांस वापसी और फ्रांसीसी जनता के समर्थन से पुन: फ्रांस की सत्ता प्राप्त करने की घटना से पुन: युद्ध का आरंभ हो गया। वियना कांग्रेस में शामिल राष्ट्रों ने 9 जून

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वियना कांग्रेस अनुबंध का प्रारूप

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वियना कांग्रेस में शामिल राष्ट्रों ने 9 जून 1815 को संधि के मसौदे पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर कर दिया। वियना कांग्रेस में हुए अनुबंधों के अंतिम प्रारूप में पेरिस की प्रथम शांति संधि के अतिरिक्त पृथक रूप से हुई अन्य सभी द्विपक्षीय संधियों को संगठित किया गया। वियना में हुए अनुबंधों का अंतिम प्रारूप

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वियना कांग्रेस के लक्ष्य

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वियना कांग्रेस के सदस्य राष्ट्रों में पारस्परिक मतभेदों के बावजूद सभी फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के विरोधी थे तथा 1789 से 1815 तक की घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए प्रयासरत थे नेपोलियन के सैन्य अभियानों से यूरोप का विशेषकर मध्य यूरोप का राजनीतिक ढांचा और शक्ति संतुलन बदल गया था। अतः मध्य यूरोप की

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वियना कांग्रेस के निर्णयकर्ता

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वस्तुतः वियना कॉन्ग्रेस वास्तविक अर्थों में एक औपचारिक कांग्रेस नहीं थी क्योंकि ना कभी इसका उद्घाटन हुआ और ना ही एक सभा के तौर पर समस्याओं पर विचार के लिए इसकी बैठके  हुई बल्कि निर्णय विजेता राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने ही मुख्य रूप से लिए। वियना में यूरोप के सभी राज्यों के प्रतिनिधि मंडल थे

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वियना कांग्रेस की पृष्ठभूमि

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यूरोपीय इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘वियना कांग्रेस’ का आयोजन ‘सितंबर 1814 – जून 1815’ के मध्य, नेपोलियन के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली, यूरोपीय शक्तियों के द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य था – नेपोलियन के युद्धों से परिवर्तित, यूरोपीय मानचित्र की पुनर्व्यवस्था और इस व्यवस्था की भविष्य में सुरक्षा के लिए

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हम्मूराबी की ‘विधि-संहिता’

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संभवत: ‘हम्मूराबी’ की ‘विधि-संहिता’ इतिहास की प्राचीनतम ‘विधि-संहिता’ है, जो अखंड रूप में मिली है। ‘हम्मूराबी’ ने अपनी संहिता को स्थाई रूप देने के लिए, उसे लगभग 8 फीट ऊंचे पाषाण स्तंभ पर 360 पंक्तियों में उत्कीर्ण करवा कर ‘बेबीलोन’ में ‘मर्दुक’ के ‘मंदिर-ए-सागिल’ में स्थापित किया था। यद्यपि संहिता का निर्माण आवश्यकता के आधार

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‘हम्मूराबी’ का न्याय-प्रशासन

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‘हम्मूराबी’ एक श्रेष्ठ  प्रशासक था। उसने ‘मेसोपोटामिया’ की सभ्यता में प्रचलित स्वतंत्र ‘नगर-राज्यों’ की परंपरा को समाप्त कर, सम्राट और केंद्रीय सत्ता के अधीन केंद्रीकृत बेबीलोनियन साम्राज्य की स्थापना की। बेबिलोनिया को सैन्य दृष्टि से शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य उसने नागरिकों के लिए अनिवार्य सैन्य सेवा की व्यवस्था की। ‘मारी’ नगर के उत्खनन से प्रचुर

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