अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव

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फ्रांको की गृहयुद्ध में विजय ‘धुरी-राष्ट्रों’ अर्थात ‘इटली’ एवं ‘जर्मनी’ तथा ‘फासिस्ट-विचारधारा’ की विजय थी तथा गृहयुद्ध के बाद स्पेन की विदेश नीति पूर्ण रूप से ‘जर्मनी’, ‘इटली’ और ‘पुर्तगाल’ की ओर केंद्रित हो गई। 1939 में स्पेन सरकार ने ‘जर्मनी’ और ‘जापान’ के बीच हुए ‘कामिंटर्न – विरोधी’ समझौते पर हस्ताक्षर किया। वस्तुत: ‘स्पेन’ में ‘फ्रांको’ के अधिनायक-तंत्र की स्थापना, ‘ब्रिटेन’ और ‘फ्रांस’ की कूटनीतिक पराजय का प्रतीक भी थी, 1940 मई में स्पेन ने ‘राष्ट्रसंघ’ की सदस्यता का परित्याग कर दिया तथा 1950 तक ‘स्पेन’ विश्व राजनीति में लगभग एकाकी बना रहा।

 

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