- हम्मूराबी: एक परिचय
- ‘हम्मूराबी’ के सैन्य अभियान
- ‘हम्मूराबी’ का न्याय-प्रशासन
- हम्मूराबी की ‘विधि-संहिता’
प्राचीन मेसोपोटामिया के इतिहास में सुमेरियनो को निर्णायक रूप से परास्त कर बेबीलोन में स्वतंत्र ‘पश्चिमी सेमाइट राजवंश’ की संस्थापक जाति, (अमर्रु,अमोराइट, केनानी या बेबीलोनियन) के छठे शासक तथा बेबीलोनियन साम्राज्य निर्माता ‘हम्मूराबी’ का शासनकाल राज्य विस्तार, प्रशासनिक संगठन और सांस्कृतिक विकास की दृष्टि से सर्वाधिक गौरवशाली काल था। ‘हम्मूराबी’ का लगभग 42 वर्षों का शासनकाल ‘सुमेरियनो’ और ‘सेमेटिकों’ के मध्य सांस्कृतिक सामंजस्य का काल था। इस समय बेबीलोनियन देवता ‘मर्दुक’ और सुमेरियनो के देवता ‘एनलिल’ की अनन्यता स्थापित हुई। फलत: तत्कालीन समस्त पश्चिमी एशिया में ‘बेल- मर्दूक’ प्रमुख आराध्य बन गए। ‘मारी’ नगर के उत्खनन से प्रचुर संख्या में मिट्टी की पाटियों पर उत्कीर्ण हम्मूराबी के ‘पत्र’ एवं ‘आज्ञाएँ’ मिली हैं। जो शासन के विभिन्न विषयों से संबंधित हैं। हम्मूराबी के ‘अभिलेख’ उसे ‘प्रजावत्सल शासक’ तथा ‘प्रशासकीय पत्र’ उसे ‘श्रेष्ठ प्रशासक’ और ‘कूटनीतिज्ञ’ सिद्ध करते हैं।
हम्मूराबी ने विश्व इतिहास में पहली बार वृहत एवं सुनियोजित ‘विधि-संहिता’ का निर्माण किया जो अपनी व्यापकता और व्यवहारिकता के कारण परवर्ती युगों में बनने वाली विधि संहिताओ, यथा- ‘मूसा’ की ‘हिब्रू-संहिता’ इत्यादि के लिए प्रेरणा स्रोत तथा समाज को व्यवस्थित करने वाली नियमावली सिद्ध हुई।
प्राचीन मेसोपोटामिया में राजनीतिक शक्ति के रूप में सुमेरियनो के पतन के पश्चात 22 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का इतिहास ‘त्रि-शक्ति’ संघर्ष का इतिहास है। इस कालखंड में ‘सुमेर’ तथा ‘अक्काद’ पर आधिपत्य के लिए उत्तर में ”पश्चिमी सेमाइट’ अपने केंद्र ‘बेबीलोन’ से और दक्षिण में ‘एलम’ के शासक अपने केंद्र ‘लारसा’ से प्रयासरत थे तथा इन दोनों के मध्य स्थित ‘ईसिन’ का राज्य भी अपने अस्तित्व की रक्षा और राज्य विस्तार के लिए संघर्षरत था।
प्रारंभिक ‘अमोराइट’ नरेश ‘बेबीलोन’ के ‘प्रथम राजवंश’ का संस्थापक, ‘सुमु-अबुम’ था। इतिहासकार ‘हॉल’ के अनुसार, इस अमोराइट शासक ने लगभग 2225 ईसा पूर्व में अपने शासन की नींव डाली। उसके पश्चात क्रमशः ‘सुमु- ला- इलू (Summu La Ilu)’, ‘जबुम(Zabum)’, ‘इमेरुम ( Immerum)’, ‘अपिल-सिन (Apil-Sin)’ और ‘सिम-मुबाल्लित (Sim-Muballit)’ ने शासन किया।
‘हॉल’ के अनुसार ‘जबुम’ की शासनावधि अल्पकालीन थी तथा ‘सिम-मुबाल्लित’,’हम्मूराबी’ का पिता था। ‘हम्मूराबी’ के इन पूर्ववर्ती शासकों ने – ‘किश’, ‘सिप्पर’, ‘कूथा’, और ‘निप्पुर’ नगर राज्यों को जीतकर ‘बेबीलोन’ के ‘नगर-राज्य: की सीमाओं को विस्तृत किया तथा उन पर स्वतंत्र शासक के रूप में शासन किया।
‘पश्चिमी सेमाइटो’ की शक्ति और प्रसिद्धि को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने वाले शासक ‘हम्मूराबी’ के सिहासनारोहण के समय उसका अधिकार ‘सिप्पर’ से ‘निप्पुर’ तक के प्रदेश अर्थात लगभग संपूर्ण ‘अक्काद’ पर था। ‘हम्मूराबी’ के राज्यारोहण की तिथि इतिहासकारों के मध्य विवादित प्रश्न है। ‘मार्टिन ए. बीड’ ने ‘मारी’ नगर के उत्खनन से प्राप्त, ‘हम्मूराबी’ के राज्यारोहण से संबंधित अभिलेखीय साक्ष्यों वाली मिट्टी की पाटीयों के आधार पर 1724 ईसा पूर्व को ‘हम्मूराबी’ के राज्यारोहण का वर्ष माना है, लेकिन अधिकांश इतिहासकार ‘एच. आर. हॉल’ द्वारा प्रदत्त कालखंड ‘2123 – 2080 ईसा पूर्व’ को ‘हम्मूराबी’ का शासनकाल मानते हैं। ‘हम्मूराबी’ के राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा के मार्ग में उसके राज्य के चारों ओर विस्तृत राज्य और उनके शक्तिशाली शासक बाधक थे। ‘हम्मूराबी’ के प्रतिद्वंदी राज्यों में बेबीलोन के दक्षिण में स्थित ‘लारसा’, उत्तर में ‘मारी’, ‘इकलातुम’ और ‘असीरिया’ तथा पूर्व दिशा में ‘दजला’ के पार ‘इसनुन्ना’ आदि थे। हम्मूराबी के राज्यारोहण के पहले ही ‘एलम’ के शासक ने दक्षिणी सुमेर पर अधिकार कर लिया था तथा ‘ईसिन’ का राजवंश भी ‘बेबीलोन’ और ‘एलम’ की सत्ता अस्वीकृत करने के लिए कटिबद्ध था।