- स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय
- स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि
- स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)
- ‘स्पेन’ में ‘गणतंत्र’ की स्थापना
- स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार के निर्णय और प्रभाव
- स्पेन में प्रथम संसदीय निर्वाचन (नवम्बर 1933)
- स्पेन में 1936 का निर्वाचन
- स्पेन में गृहयुद्ध की पूर्वसंध्या में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति
- स्पेन में गृहयुद्ध (1936-1939)
- स्पेन की सरकार का पतन और फ्रांको की सत्ता की स्थापना
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव
स्पेन में नए संविधान के तहत हुए,1933 नवम्बर के प्रथम निर्वाचन में दक्षिणपंथी दलों के गठबंधन ‘Spanish Confederation of Autonomous Right Wing Group’ या ‘CEDA’ को 473 में से 207 सीटें मिली, ‘मध्यवर्ती दल’ या ‘Radical party’ को 167 तथा वामपंथी दलों को 99 स्थान मिले। सत्तारूढ़ दल की सदस्य संख्या में कमी से स्पष्ट था की तत्कालीन स्पेन में दक्षिणपक्षीय तत्वों का प्रभाव बढ़ रहा था।
CEDA को 1933 के चुनाव में बहुमत मिलने के बावजूद उसके नेता ‘गिल रोबल्स (Gil Robels)’ को राष्ट्रपति ‘जामोरा’ ने, राजतंत्र का समर्थक और संविधान के प्रावधानों एवं निरंतरता के लिए खतरा बताकर, सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया। ‘Left Republicans’ ने राष्ट्रपति ‘अल्काला जामोरा’ से चुनाव परिणाम को निरस्त करने की मांग की। राष्ट्रपति ने मध्यवर्ती ‘Radical Republican Party’ के नेता ‘अलेजांड्रो लेराक्स (Alexandro lerauxu)’ को सरकार गठन का निमंत्रण दिया। सदन में बहुमत के बावजूद ‘CEDA’ को लगभग एक वर्ष तक मंत्रिमंडल की सदस्यता नहीं दी गई। नवंबर 1935 के बाद अगले लगभग दो वर्षों तक स्पेन की स्थिति को ‘Black two years’ कहा जाता है जो काफी अंशों में गृहयुद्ध के सदृश ही थी।
प्रथम राष्ट्रीय संसद (लेराक्स का प्रधानमंत्रित्व)
‘रेडिकल पार्टी’ के नेता ‘अलेजांड्रो लेराक्स’ ने ‘प्रथम राष्ट्रीय संसद’ में ‘प्रधानमंत्री’ का पद ग्रहण कर मंत्रिमंडल का गठन किया। बहुमत के बावजूद सत्ता में आने से वंचित किए गए दल ‘CEDA’ के समर्थन में राजतंत्र समर्थकों ने फासिस्ट-नेशनलिस्ट दल ‘Falange Espanola de las JONS’, के साथ मिलकर दिसंबर 1933 में हिंसात्मक संघर्ष और विद्रोह किया जिसमें कई लोग मारे गए।
‘लेराक्स’ ने 1931-32 में पादरियों के संबंध में बनाए गए कानूनों को निरस्त कर दिया तथा राजनीतिक अपराधियों को क्षमा कर दिया। उसने अगस्त 1932 के असफल सैन्य विद्रोह के नायक जनरल ‘जोस सांजुर्जो’ को आम माफी दी। एक साल में लिए गए इन राजनीतिक निर्णयों के बाद ‘लेराक्स’ ने ‘CEDA’ के तीन सदस्यों को अपने मंत्रिमंडल में सदस्यता दी।
अक्टूबर 1934 में ‘CEDÀ’ को सरकार में शामिल किए जाने के प्रतिरोध में समाजवादी ‘PSOE’ और साम्यवादियों ने ‘लेराक्स’ सरकार को हटाने के लिए स्पेन में सशस्त्र हिंसा और खूनी क्रांति का आरंभ कर हजारों की संख्या में पुलिस, पादरियों और आम जन की हत्या की तथा चर्च, कॉन्वेंट,धार्मिक इमारतों और ओविएदो (Oviedo) में विश्वविद्यालय को ध्वस्त कर दिया। स्पेन की जल सेना और थल सेना की सहायता से सरकार ने इस विद्रोह का दमन कर दिया। लेराक्स और CEDA (Lerroux-CEDA) सरकार ने अजाना को इस विद्रोह के लिए जिम्मेवार ठहराया तथा विद्रोहियों के साथ सह- अपराध के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
वस्तुत: संवैधानिक सत्ता के विरुद्ध, इस विद्रोह के द्वारा समाजवादियों ने यह दिखा दिया कि, संस्थागत प्रणाली के परित्याग में वह अराजकतावादियों की तरह ही अभ्यस्त और समान विचार रखते हैं। स्पेनिश इतिहासकार ‘साल्वाडोर डी मैड्रियागा’ के अनुसार, “1934 का विद्रोह भुलाया नहीं जा सकता, यह तर्क कि ‘गिल रोबल्स (Gil Robels)’ संविधान को समाप्त कर फासिस्म की स्थापना करेगा झूठ और कोरी कल्पना थी तथा 1934 के हिंसात्मक विद्रोह के साथ ही स्पैनिशों ने 1936 के विद्रोह का विरोध करने का नैतिक अधिकार खो दिया था।”
1935 में ‘लेराक्स’ की ‘रेडिकल रिपब्लिकन’ और ‘CEDA’ सरकार को लगातार कई राजनीतिक संकटों एवं प्रबल चुनौतियों का सामना करना पड़ा तथा इस सरकार के प्रति विरोधी एवं शत्रुतापूर्ण रवैया रखने वाले राष्ट्रपति ‘जामोरा’ ने फरवरी 1936 में नए चुनाव की घोषणा कर दी।