- स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय
- स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि
- स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)
- ‘स्पेन’ में ‘गणतंत्र’ की स्थापना
- स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार के निर्णय और प्रभाव
- स्पेन में प्रथम संसदीय निर्वाचन (नवम्बर 1933)
- स्पेन में 1936 का निर्वाचन
- स्पेन में गृहयुद्ध की पूर्वसंध्या में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति
- स्पेन में गृहयुद्ध (1936-1939)
- स्पेन की सरकार का पतन और फ्रांको की सत्ता की स्थापना
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव
12 जुलाई 1936 को दक्षिणपंथियों ने एक वामपंथी पुलिस अधिकारी लेफ्टिनेंट ‘केस्टिलो’ की हत्या कर दी, जिसके प्रतिशोध में दक्षिणपंथी सैन्य अधिकारी ‘काल्वो सोंटेलो’ की हत्या वामपंथियों द्वारा कर दी गई। 17 जुलाई को मोरक्को स्थित स्पेनी सेनाओं ने जनरल फ्रांको के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया। साथ ही स्पेन के दक्षिणपंथी उच्च सैन्य अधिकारियों द्वारा सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष आरंभ कर देने से स्पेन में गृह युद्ध प्रारंभ हो गया।
इस गृहयुद्ध में दक्षिणपंथी पक्ष की सेना को स्पेन शासित ‘मोरक्को’, ‘पैम्पलोना’, ‘कैडिज’, ‘कार्डोंबा’, ‘सेविले’, ‘बर्गोस’, ‘जरगोजा’, ‘वैल्लेडोलिड’ की सेना की ईकाइयों का भी समर्थन था। दूसरी ओर ‘मेड्रिड’, ‘बार्सिलोना’, ‘वैलेंशिया’, ‘बिलबाओ’ और ‘मलागा’ की सैन्य इकाइयों पर स्पेन की सरकार का नियंत्रण था। जनरल ‘सांजुर्जो’ की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद ‘जनरल फ्रांको’ ने दक्षिणपंथी विद्रोहियों का नेतृत्व ग्रहण किया तथा इनके अन्य प्रमुख नेता ‘एमिलो मोला’ और ‘लिओपिस’ थे। स्पेन के गृहयुद्ध में दोनों पक्षों को विदेशी सहायता प्राप्त थी, यथा – दक्षिणपंथी विद्रोही सेना को इटली और जर्मनी से हजारों, कठोर सैन्य प्प्रशिक्षण प्राप्त लड़ाको की सहायता प्राप्त थी, वहीं सरकार को मेक्सिको का समर्थन था तथा यद्यपि ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने स्पेन की सरकार को मान्यता दी लेकिन सैन्य अहस्तक्षेप की नीति के तहत संभवतः उन्होंने सैन्य मदद नहीं दी।
सितंबर 1936 में वामपंथी समाजवादी ‘फ्रांसिस्को लार्गों केवेलेरो’ ने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। उन्होने विद्रोहियों के दमन के लिए मजदूरों और कृषकों को लेकर एक सशक्त लोक सेना का गठन किया, परंतु यह सेना फ्रांको की सुसंगठित सेना को रोकने में विफल रही। नवंबर 1936 में फ्रांको की सेना राजधानी ‘मेड्रिड’ की बाहरी सीमा तक पहुंच गई जिससे सरकार को अपनी राजधानी ‘वेलेंशिया’ स्थानांतरित करनी पड़ी। ‘जनरल फ्रांको’ ने ‘बुर्गोस’ को राजधानी बनाया तथा ‘इटली’ और ‘जर्मनी’ ने ‘फ्रांको’ की सरकार को विधित: ‘स्पेन की सरकार’ के तौर पर मान्यता दे दी। दूसरी ओर सरकार को रूस से सैन्य सहायता मिलने लगी फलत: फ्रांको की सेना मेड्रिड में प्रवेश नहीं कर सकी।
1937 मई में वामपंथी दलों में परस्पर मतभेद के कारण प्रधानमंत्री ‘केवेलेरो’ ने त्यागपत्र दे दिया तथा नरमपंथी समाजवादी नेता ‘जुआन नेगरिन’ ने सत्ता संभाली। फ्रांको की सेना के बढ़ते दबाव से सरकार को राजधानी ‘बार्सिलोना’ ले जाना पड़ा।
वस्तुतः दक्षिण और पश्चिमी स्पेन पर फ्रांको का नियंत्रण होने से इस गृहयुद्ध में भौगोलिक लाभ की दृष्टि से उसकी स्थिति तुलनात्मक रूप से सरकार से अच्छी थी तथा स्पेन के लगभग समस्त उत्तरी तट पर 1937 तक फ्रांको की सेना का अधिकार हो गया।
1938 के आरंभ में फ्रांको की सेना ‘सारगोसा’ से आगे ‘टारटोसा’ के दक्षिण में समुद्र-तट तक पहुंच गई, जिससे सरकार की सैन्य क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई। साथ ही ‘मेड्रिड’ के दक्षिण एवं पश्चिम में स्थित क्षेत्रों पर फ्रांको का अधिकार हो गया तथा 1938 में ‘केटेलोनिया’ के अधिकांश क्षेत्रों पर विरोधियों का अधिकार हो जाने और ‘मेड्रिड: एवं ‘बार्सिलोना’ के मध्य संपर्क खत्म होने से सरकार की ‘रिपब्लिकन सेना’ की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। दिसंबर 1938 में फ्रांको की सेना ने ‘बार्सिलोना’ की ओर प्रस्थान किया तथा सरकार की सेनाओं को परास्त कर 26 जनवरी 1939 को ‘बार्सिलोना’ पर अधिकार कर लिया।