- स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय
- स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि
- स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)
- ‘स्पेन’ में ‘गणतंत्र’ की स्थापना
- स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार के निर्णय और प्रभाव
- स्पेन में प्रथम संसदीय निर्वाचन (नवम्बर 1933)
- स्पेन में 1936 का निर्वाचन
- स्पेन में गृहयुद्ध की पूर्वसंध्या में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति
- स्पेन में गृहयुद्ध (1936-1939)
- स्पेन की सरकार का पतन और फ्रांको की सत्ता की स्थापना
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव
19 वीं सदी से ही स्पेन राजनीतिक-सामाजिक अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा था। 1812 में स्पेन में संविधान लागू हुआ,जिसने राजा के अधिकार को सीमित कर उदारवादी राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर किया लेकिन ‘राजा फर्डिनेंड VII’ द्वारा संविधान को निरस्त तथा ‘Trienio liberal government’ को अपदस्थ करने के बाद ‘1814 – 1874’ के मध्य स्पेन में कई विद्रोह हुए। स्पेन में व्याप्त असंतोष का मुख्य कारण 1868 में स्पेन के शहरों में हुए दंगे, मध्य वर्ग में उदारवाद का प्रसार और अति रूढ़िवादी राजशाही और सेना के मध्य सहयोग था।
राजनीतिक अव्यवस्था के इस दौर में ‘बूर्बों वंश’ की शासिका ‘इसाबेला II’ को सिंहासन से हटा कर सेवाय वंश के ‘अमाडियो I’ को स्पेन का राजा बनाया गया लेकिन राजनीतिक दवाब के कारण उसे राजगद्दी छोड़नी पड़ी तथा ‘स्पेन’ में ‘प्रथम गणराज्य (First Spanish Republic)’ की स्थापना हुई। तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य में, ‘स्पेन’ में ‘बूर्बों’ वंश की राजसत्ता की पुनर्स्थापना की पक्षधर ‘Carlist पार्टी’ और अराजकतावादी, राजगद्दी पर विद्यमान ‘सेवाय’ राजवंश के कट्टर विरोधी थे। स्पेन से पृथकता की मांग करने वाले तथा विकास के मापदंडों पर पिछड़े क्षेत्र, ‘केटेलोनिया (Catalonia)’ की ‘Radical Republic Party: के नेता ‘अलेजांद्रो लेरॉक्स (Alenxandro Leraux)’ भी स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार की स्थापना के लिए वर्तमान सत्ता का विरोधी था। इस व्यापक असंतोष की परिणिति, अराजकतावादियों, समाजवादियों और गणतंत्रवादियों की गुटबंदी तथा सेना के साथ ‘बार्सिलोना’ और ‘कैटोलेनिया’ के शहरों में जुलाई 1909 के अंतिम सप्ताह में हुए हिंसक संघर्ष में हुई, जिसे ‘Tragic week in Barcelona’ कहा जाता है।
‘प्रथम विश्वयुद्ध’ में ‘स्पेन’ तटस्थ था। असमान कर प्रणाली एवं भ्रष्टाचार से संकटग्रस्त स्पेनी अर्थव्यवस्था, युद्ध काल में युद्धरत देशों को युद्धक सामग्रियों के निर्यात से सुधर गई थी। लेकिन युद्धोपरांत स्पेन की आर्थिक स्थिति पुनः खराब हो गई तथा देश में अशांति और अराजकता कायम हो गई। इस स्थिति के लिए मुख्यतः निम्नलिखित तथ्य कारक थे।
- उग्र क्रांतिकारियों की विचारधारा से प्रभावित स्पेन के श्रमिक वर्ग में बढ़ता असंतोष।
- स्पेन के कुछ भागों विशेषत: ‘कैटेलोनिया’ में क्षेत्रीय एवं पृथकतावादी आंदोलन की बढ़ती शक्ति।
- शासन में सैनिक परिषदों अर्थात सैन्य अधिकारियों के गुट (जुंटा) का हस्तक्षेप।
- मोरक्को में स्थित स्पेन के उपनिवेशों में विद्रोहियों के विरुद्ध स्पेनी सेना की पराजय।
इन विषम परिस्थितियों के साथ हीं स्पेन की संसद ‘कोर्टेज’ में विभिन्न राजनीतिक दलों के मध्य घोर मतभेदों के कारण किसी भी मंत्रिमंडल के सत्ता संचालन में सफल नहीं रहने से 1919 से 1923 के मध्य 10 मंत्रिमंडल गठित किए गए। तत्कालीन ‘स्पेन’ में हिंसात्मक प्रदर्शनो और हड़तालो से अराजकता व्याप्त थी। ऐसी स्थिति में बार्सिलोना के सैन्य गवर्नर जनरल ‘मिग्रयल प्राइमो ड रिवेरा’ ने मंत्रिमंडल को बर्खास्त और संविधान को स्थगित कर शासन के समस्त अधिकार को हस्तगत कर लिया।