- स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय
- स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि
- स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)
- ‘स्पेन’ में ‘गणतंत्र’ की स्थापना
- स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार के निर्णय और प्रभाव
- स्पेन में प्रथम संसदीय निर्वाचन (नवम्बर 1933)
- स्पेन में 1936 का निर्वाचन
- स्पेन में गृहयुद्ध की पूर्वसंध्या में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति
- स्पेन में गृहयुद्ध (1936-1939)
- स्पेन की सरकार का पतन और फ्रांको की सत्ता की स्थापना
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव
- भूमि सुधार
सितंबर 1932 में स्पेन की ‘कोर्टेज’ ने कानून पारित कर 5 करोड़ एकड़ से अधिक अविकसित भूमि और स्पेन से निष्कासित व्यक्तियों की निजी-भूमि को बगैर मुआवजा दिए तथा कुछ कुलीनो की भूमि को मुआवजा देकर अधिग्रहित कर लिया तथा भूमिहीनों में इनके पुनर्वितरण की घोषणा की गई। इस कानून से भू-स्वामी कुलीन वर्ग और इसके कार्यान्वयन में अति विलंब से भूमिहीन सरकार के विरोधी बन गए तथा सामाजिक समरसता पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ा।
2. कैथोलिक चर्च के विशेष अधिकारों की समाप्ति
‘कोर्टेज’ ने 1932 में एक कानून द्वारा ‘स्पेन’ में ‘जेसुइट’ संप्रदाय की मान्यता समाप्त कर राष्ट्र कल्याण के कार्यो के लिए उसकी लगभग 30 करोड़ डॉलर मूल्य की संपत्ति को जब्त कर लिया। चर्च की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया तथा एक कानून पारित कर राष्ट्र द्वारा पादरियों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद कर धार्मिक संप्रदाय के सदस्यों द्वारा व्यापार करने तथा धार्मिक शिक्षा के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के शैक्षणिक कार्यों में शामिल होने को प्रतिबंधित कर दिया।
पोप ‘पायस XI’ ने स्पेन की सरकार के इन कार्यों तथा चर्च और राष्ट्र के पृथक्करण का विरोध किया। साथ ही स्पेन की बहुसंख्यक ‘कैथोलिक’ जनता और पादरी वर्ग भी सरकार के विरोधी हो गए। चर्च द्वारा संचालित स्कूलों को बंद कर देने और वैकल्पिक शिक्षण शालाओं के अभाव में स्पेन की शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई।
3. आर्थिक कार्य
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के शुरुआत के दौर में ‘स्पेन’ के ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की हालत ‘यूरोप’ में सबसे बदतर थी। सरकार द्वारा बनाए गए एक नियम “Law of Municipal Boundaries” के अंतर्गत भू-स्वामी अपने नगरपालिका क्षेत्र के बाहर रहने वाले मजदूरों से काम नहीं करवा सकते थे, चुकि: सभी क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार श्रमिक उपलब्ध नहीं थे, अतः इस कानून का बुरा प्रभाव कृषि और औद्यौगिक कार्यों तथा श्रमिकों की आय, दोनों पर पड़ा। सरकार ने ‘Labour Arbitration Board’ का गठन किया, जिसका कार्य श्रमिकों के वेतन, कार्य-अवधि और श्रमिकों एवं नियोक्ताओं के मध्य सेवा-शर्तों का निर्धारण करना था। इस संस्था के द्वारा बनाए गए नियमों ने नियोक्ताओं को श्रमिकों का बंधक बना दिया।
- 1931 में श्रमिकों के लिए बनाए गए कुछ कानूनों द्वारा उद्योगों में मशीनों के उपयोग को सीमित,
- श्रमिकों द्वारा अतिरिक्त समय तक काम करने पर मालिकों द्वारा प्रदत राशि में वृद्धि, तथा
- केवल स्थानीय श्रमिकों से काम लेने के नियम को सख्त कर दिया गया।
सरकार के इन नियमों ने भू स्वामियों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के मध्य संघर्ष और विभेद की खाई को और गहरा कर दिया। जिसका परिणाम हड़ताल, लूट, सशस्त्र वर्ग-संघर्ष, हत्याओ के रूप में दृष्टिगत हुआ।
गणतंत्रीय सरकार ने स्पेन में आयात-शुल्क की दरें, जो पहले ही पश्चिमी यूरोप में सबसे उच्च थी, उसमें और वृद्धि की लेकिन घरेलू औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि नहीं होने से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बहुत वृद्धि हो गई। साथ हीं, बेरोजगारी में भी वृद्धि होने से स्पेन की आर्थिक दशा बदतर हो गई।
Catalonia
4. पृथकतावाद को बढ़ावा
1932 में कैटोलेनिया की स्वायत्तता की मांग के आगे झुक कर सरकार ने कैटोलेनिया में अलग ‘राष्ट्रपति’ एवं ‘संसद’ सहित पृथक ‘राष्ट्र-शासन’, पृथक ‘ध्वज’, पृथक ‘राष्ट्रगीत’ एवं प्रादेशिक ‘भाषा’ के प्रयोग की अनुमति दे दी। यद्यपि स्पेन की संसद ‘कोर्टेज’ को समस्त राष्ट्र के लिए कानून बनाने का अधिकार था तथापि यह निर्णय अन्य स्पेनी प्रांतों में अलगाववादी आंदोलन के लिए प्रेरक से सिद्ध हुआ।
गणतंत्रवादी सरकार को अपनी नीतियों के कारण स्पेनी राजनीति के दोनों पक्षों, यथा – दक्षिणपंथी विचार वाले – राजतंत्र समर्थकों, पादरी वर्ग, कुलीन भूमिपतियों तथा कट्टर वामपंथियों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। 1932 में राजतंत्रवादियो ने जनरल ‘जोस संजुर्जो’ के नेतृत्व में विद्रोह कर ‘सेविल’ एवं आसपास के छोटे शहरों पर अधिकार कर लिया तथा 1933 के प्रारंभ ‘सिंडिकलवादियो’ ने ‘बार्सिलोना’ में विद्रोह किया जो शीघ्र ही निकटवर्ती क्षेत्रों में फैल गया। यद्यपि इन विद्रोहों को सरकार ने कुचल दिया तथापि स्पेन के राजनीतिक सामाजिक ढांचे पर इसका घातक प्रभाव पड़ा।