- स्पेन का गृहयुद्ध: एक परिचय
- स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि
- स्पेन में सैन्य अधिनायकत्व का कालखंड (1923 -1931)
- ‘स्पेन’ में ‘गणतंत्र’ की स्थापना
- स्पेन में गणतंत्रवादी सरकार के निर्णय और प्रभाव
- स्पेन में प्रथम संसदीय निर्वाचन (नवम्बर 1933)
- स्पेन में 1936 का निर्वाचन
- स्पेन में गृहयुद्ध की पूर्वसंध्या में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति
- स्पेन में गृहयुद्ध (1936-1939)
- स्पेन की सरकार का पतन और फ्रांको की सत्ता की स्थापना
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ का प्रभाव
फरवरी 1939 में राष्ट्रपति ‘अजाना’ ने त्यागपत्र दे दिया तथा ‘फ्रांस’ और ‘ब्रिटेन’ ने ‘फ्रांको’ की सरकार को ‘स्पेन’ के शासक के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता दे दी। यद्यपि प्रधानमंत्री ‘नेगरिन’ ने राजधानी ‘मेड्रिड’ को आधार बना कर युद्ध जारी रखने का प्रयत्न किया परंतु फ्रांको की सत्ता को चुनौती देना असंभव था।
5 मार्च 1939 को निवर्तमान सरकार की रिपब्लिकन आर्मी के नेतृत्वकर्ताओं कर्नल ‘सेगिसमंडो कसाडो (Segismundo Casado)’ और समाजवादी नेता ‘जूलियन बेस्टेइरो (Jullian Besteiro)’ ने प्रधानमंत्री ‘नेगरिन’ के विरुद्ध ‘नेशनल डिफेंस काउंसिल’ का गठन कर ‘फ्रांको’ से संधि का प्रयास किया। ‘नेगरिन’ स्पेन छोड़कर 6 मार्च 1939 को ‘फ्रांस’ चला गया।
‘मेड्रिड’ के आसपास युद्धरत ‘रिपब्लिकन सेना’ ‘फ्रांको’ से संधि के विरुद्ध थी, जिससे ‘गृहयुद्ध’ के बीच एक अन्य ‘गृहयुद्ध’ आरंभ हो गया। ‘फ्रांको’ ने संधि-प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया तथा बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की। अंततः 28 मार्च 1939 को फ्रांको की सेना ने विरोधियों के अंतिम गढ़, राजधानी मेड्रिड पर भी अधिकार कर लिया। फ्रांसिसो फ्रांको ने 1 अप्रैल 1939 को रेडियो पर स्पेन की जनता को अपनी विजय का संदेश दिया।
फ्रांको का शासनकाल (1939 – 1975)
स्पेन में 1939 से फ्रांको का अधिनायकतंत्र स्थापित हो गया। स्पेन में केवल एक राजनीतिक दल ‘फेलेंज’ को राष्ट्रीय सत्ता की संपूर्ण शक्ति का अधिकारी माना गया। ‘नाजी’ एवं ‘फासीवादी दल’ के समान संगठित ‘फेलेंज पार्टी’ का सर्वमान्य प्रधान नेता या ‘काडिलो’, जनरल ‘फ्रांसिसो फ्रांको’ था,जिसे असीमित अधिकार प्राप्त थे।
- ‘फ्रांको’ द्वारा विरोधियों का दमन एवं निर्वासन
‘फ्रांको’ ने अपनी सत्ता को स्थाई बनाने के लिए विरोधियों का क्रूरतापूर्वक दमन किया तथा लगभग 5 लाख विरोधियों को बंदी शिविरों में भेज दिया गया। उसने अनेक राजनीतिक बंदियों को साम्यवादी षडयंत्र का हिस्सा होने के कारण मृत्युदंड दिया। ‘फ्रांको’ द्वारा भूतपूर्व सरकार से संबंधित लोगों के दमन से काफी बड़ी संख्या में लोगों ने ‘स्पेन: से पलायन किया, जो तीन कालखंडो में विभक्त है –
(A). मार्च – नवंबर 1937, में उत्तरी सैन्य अभियान के दौरान ,
(B). जनवरी – फरवरी 1939, में ‘कैटेलोनिया’ के पतन के बाद जिनमें 40,000 लोगों ने ‘फ्रांस’ में शरण ली।
(C). मार्च 1939 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद, जिसमें भूतपूर्व सत्ता के हजारों समर्थकों ने समुद्री मार्ग से पलायन का प्रयास किया, जिसमें कुछ ही सफल रहे।
वस्तुतः ‘स्पेन के गृहयुद्ध’ में दोनों पक्षों ने संगठित ढंग से बड़े पैमाने पर विरोधियों के प्रति अत्याचार किए और उनकी हत्याएं की। यह स्थानीय समर्थकों और अधिकारियों के सहयोग से किया गया, जो दोनों पक्षों के मजबूत क्षेत्रीय गढ़ों पर निर्भर था। हजारों स्पेनियो ने दक्षिणी फ्रांस के शरणार्थी शिविरों में शरण ली। इस गृह युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या अनुमानित है कि, 5,00000 से 10,00000 थी, जो युद्ध के ही नहीं बल्कि राजनीतिक हत्याओं के भी शिकार हुए। कुछ इतिहासकारों का मत है की नेशनलिस्ट (फ्रांको और सहयोगी) पक्ष ने संगठित ढंग से इन हत्याओं को अंजाम दिया तथा निर्बाध सत्ता की स्थापना इस निर्मम अपराध का कारण था। जबकि रिपब्लिकन (सरकार और सहयोगी) पक्ष के द्वारा की गई हत्याएं, सरकार द्वारा अपनी समर्थक आम जनता को सशस्त्र करने से हुई। जिन्होंने सरकार के समर्थन से अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के तहत विरोधियों की हत्याएं की। इसके अतिरिक्त भूख, बीमारी और कुपोषण से भी लगभग 5,00000 मौतें हुई।
- स्पेन में धर्म से संबंधित परिवर्तन
फ्रांको ने कैथोलिक मत को पुनः राष्ट्र धर्म घोषित कर ‘जेसुइट’ पादरियों को पुनः स्पेन में प्रवेश की अनुमति दे दी। पूर्व सरकार द्वारा जब्त चर्च की संपत्ति, चर्च को पुन: वापस कर दी गई तथा कैथोलिक चर्च को पूर्ववत सरकारी अनुदान दिया जाने लगा।
- स्पेन में हुए आर्थिक परिवर्तन
‘फ्रांको ने पुराने श्रम संघों को खत्म कर ‘फेलेंज दल’ के तहत नए श्रम संघों को स्थापित किया तथा ‘हड़ताल’ या ‘तालाबंदी’ को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया। औद्योगिक एवं श्रमिक विवादों का निर्णय सरकारी अधिकारियों द्वारा किए जाने से व्यापार और उद्योग पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण हो गया, जो पूंजीवाद या साम्यवाद नहीं अपितु सर्वाधिकारवाद था। गृहयुद्ध में सैन्य सहायता के एवज में ‘जर्मनी’ ने स्पेन के खनिज संपदा पर व्यापारिक अधिकार प्राप्त किया था, जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत तक स्पेन अपने खनिज स्रोतों से मुनाफा प्राप्त नहीं कर सका।
वस्तुत: गृहयुद्ध में स्पेन की अर्थव्यवस्था और आधारभूत संरचना ध्वस्त हो गए थे तथा उनका पुनर्निर्माण काफी व्यय-साध्य तथा दशकों का कठिन कार्य था।