- सोवियत संघ क्या है?
- सोवियत संघ का विघटन
- साम्यवाद की विफलता
- सोवियत संघ के विघटन के कारक
- सोवियत संघ के विघटन की समय रेखा
- सोवियत संघ के विघटन से उत्पन्न परिस्थितियां
सोवियत संघ के विघटन की समय रेखा
‘मिखाईल गोर्बाचोव’, के तख्तापलट का प्रयास सोवियत संघ के विघटन में अंतिम आघात सिद्ध हुआ। गोर्बाचोव ने पार्टी के महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया तथा येल्तसिन ने 6 नवंबर 1991 को एक शासनादेश के द्वारा रूस की धरती पर कम्युनिस्ट पार्टी की सभी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया। यद्यपि सोवियत संघ के 12 गणराज्य एक सीमित संघ के लिए वार्ता कर रहे थे तथापि बोरिस येल्तसिन गणराज्यों की स्वतंत्रता का पक्षधर था। 1 दिसंबर1991 को संघ के द्वितीय प्रमुख गणराज्य, यूक्रेन ने भी जनमत संग्रह द्वारा अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। 1991 दिसंबर में रूस और कजाखस्तान के अतिरिक्त सोवियत संघ के अन्य सभी गणराज्यों ने औपचारिक रूप से संघ से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
इस दौरान येल्तसिन ने रूस में स्थित भूतपूर्व सोवियत संघ की सरकार के विभिन्न अवयवों और सत्ता के प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार सीमित स्तर पर भी सोवियत संघ के अस्तित्व की संभावनाओं पर विराम लग गया।
Belavezha Accords
8 दिसंबर 1991 को रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों तथा बेलारूस की संसद के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री ने, ‘Belavezha Accords’ पर हस्ताक्षर के द्वारा, सोवियत संघ के विघटन और इसकी जगह ‘Commonwealth of Independent States (CIS)’ की स्थापना की घोषणा की। ‘Belavezha Accords’ की प्रस्तावना में, “एक भू-राजनीतिक स्वरूप और अंतर्राष्ट्रीय कानून के विषय के तौर पर सोवियत संघ के अंत की घोषणा की गई थी।” इसमें शेष गणराज्यों को भी CIS में शामिल होने का आह्वान किया गया था।
इस घोषणा की वैधानिकता पर इस आधार पर प्रश्न चिन्ह था कि, क्या 12 गणराज्यों में से मात्र तीन समस्त संघ को विघटित कर सकते थे।
Alma-Ata Protocol
सोवियत संघ के विघटन को वैधानिकता ‘Alma-Ata Protocol’ के द्वारा मिली जब 21 दिसंबर 1991 को शेष 12 सोवियत गणराज्यों में से 11 – आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, कजाखस्तान, किरगिज़स्तान, मोल्दोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान,यूक्रेन और उज़्बेकिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर कर सोवियत संघ के विघटन तथा CIS की स्थापना की घोषणा की।
21 दिसंबर 1991,सोवियत संघ के गणराज्यों मैं से केवल ‘जॉर्जिया’ ने इसमें भाग नहीं लिया तथा लिथुआनिया, लाटविया और एस्टोनिया ने ‘अल्मा- अता’, घोषणा से स्वयं को इस आधार पर अलग रखा कि,1940 में ‘Molotov – Ribbentrop Pact’ के आधार पर इन बाल्टिक राज्यों को सोवियत संघ का अंग बनाना अवैध था।
सोवियत संघ के राष्ट्रपति के पद से 25 दिसंबर 1991 को गोर्बाचोव के पदत्याग और कार्यालय छोड़ने के पश्चात 25 दिसंबर की रात को सोवियत संघ का ध्वज आखिरी बार झुकाया गया तथा अगली सुबह रूस का तिरंगा ध्वज लहराया गया। अगले दिन सर्वोच्च सरकारी संस्था ‘सुप्रीम सोवियत’ ने अपने और संघ दोनों के अस्तित्व की समाप्ति के समर्थन में मत दिया। इस घटना को एक ‘कार्यरत राष्ट्र’ के रूप में ‘सोवियत संघ’ का अंतिम और औपचारिक विघटन माना जाता है।