यूरोपीय इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘वियना कांग्रेस’ का आयोजन ‘सितंबर 1814 – जून 1815’ के मध्य, नेपोलियन के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली, यूरोपीय शक्तियों के द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य था – नेपोलियन के युद्धों से परिवर्तित, यूरोपीय मानचित्र की पुनर्व्यवस्था और इस व्यवस्था की भविष्य में सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रयास द्वारा दिशानिर्देश तय करना।
वियना कांग्रेस की पृष्ठभूमि में फ्रांसिसी क्रांति और नेपोलियन बोनापार्ट के सैन्य अभियानो का यूरोपीय राजनीति पर युगांतकारी प्रभाव से उत्पन्न अंतर्द्वंद था। जिसमें एक और फ्रांस की क्रांति से प्रेरित परिवर्तनवादी तत्व थे, जिन्हें जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक विकास, नगरीकरण से अनुकूल वातावरण मिल रहा था। दूसरी ओर राजतंत्र, चर्च और सामंत यथास्थिति के पोषक थे।
वियना कांग्रेस में प्रतिक्रियावादी शक्तियों ने फ्रांस की क्रांति और नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा यूरोपीय देशों की सीमा और राजनीति पर डाले गए प्रभावों को यथासंभव समाप्त कर पुरातन व्यवस्था के मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रयास किया।
छठा संघ (Sixth Coalition)
रूस, प्रशा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रिया ने पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन तथा कई जर्मन राज्यों को शामिल कर एक संघ ‘Sixth Coalition’ बनाया था। इस गठबंधन द्वारा मार्च 1813 से मई 1814 तक नेपोलियन बोनापार्ट के विरुद्ध लड़े गए युद्धों के परिणामस्वरूप 31 मार्च 1814 को नेपोलियन बोनापार्ट की हार हुई। नेपोलियन तथा ऑस्ट्रिया, प्रशा एवं रूस के प्रतिनिधियों के मध्य हुई Fontainebleau (फॉनटेनब्लियू) की संधि से फ्रांस के सम्राट के रूप में नेपोलियन बोनापार्ट के शासन का अंत हो गया तथा उसे ‘एल्बा द्वीप’ में निर्वासित कर दिया गया। इस संधि के तहत बूर्बो वंश की फ्रांस की राजगद्दी पर पुनर्स्थापना के उद्देश्य से Sixth Coalition के देशों ने बूर्बो वंशीय ‘चार्ल्स, काउंट ऑफ आर्तोइस’ के साथ एक युद्धविराम संधि पर हस्ताक्षर किया और लुई अठारहवां (Louis XVIII) फ्रांस का सम्राट बना।
पेरिस की प्रथम शांति या चौमोंट-संधि (Chaumont Pact)
नेपोलियन के पतन के अंतिम दिनों में ऑस्ट्रिया, रूस, प्रशा और ब्रिटेन ने गठबंधन (Sixth Coalition) में आपसी संबंधों की रूपरेखा तय करने के लिए, फ्रांसीसी नगर चौमोंट हाउते मार्ने (Chaumont Haute Marne) में, वार्ता कर एक संधि का प्रारूप तैयार किया। जिसके आधार पर 9 मई 1814 को फ्रांस के सम्राट लुई XVIII के प्रतिनिधि तालिरां और ब्रिटेन, रूस, प्रशा एवं ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधियों के मध्य वार्ता आरंभ हुई। इस वार्ता में संधि का प्रारूप निर्धारित किया गया जिसके तहत फ्रांस को जून 1792 की सीमा प्रदान करने तथा नेपोलियन द्वारा अधिकृत यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुसत्ता पुन:स्थापित करने का प्रावधान किया गया। चौमोंट की संधि का उद्देश्य Sixth Coalition की शक्ति को एक गठबंधन के रूप में परिणत करना था, ताकि फ्रांस की आक्रामक सैन्य नीति से यूरोप की सुरक्षा की जा सके। अतयव चौमोंट अनुबंध का हिस्सा नहीं होने के बावजूद, 30 मई 1814 को हुई पेरिस की संधि पर पुर्तगाल, स्वीडन और कुछ विवादों के पश्चात जुलाई 1814 में स्पेन ने भी हस्ताक्षर किए।
‘पेरिस की प्रथम शांति’ कही जाने वाली इस संधि में, फ्रांस और Sixth Coalition (छठा संघ) के देशों के मध्य पृथक शर्तों के साथ पृथक द्विपक्षीय संधियां हुई।
इन संधियों के प्रारूप का अध्ययन फ्रांस ब्रिटेन और स्पेन के संदर्भ में किया जा सकता है-
1.फ्रांस
इस संधि से फ्रांस में बूर्बों वंश की सत्ता पुन:स्थापित हुई तथा लुई XVIII को फ्रांस के सम्राट के रूप में मान्यता मिली। यह संधि फ्रांस के प्रति उदार थी अतः फ्रांस का अधिकार सारब्रुकन (Saarbrucken), सारलौइस (Saarlouis), लेंडॉ (Landau), मोंटेबलियार्ड की काउंटी (Country of Montbeliard) पर कायम रहा और साथ ही सेवाय का कुछ भाग एनेसी (Annecy) और चेंबरी (Chambery) के साथ एविग्नन (Avignon)और कॉम्टेट वेनेशिन (Comtat Venaissin) भी प्राप्त हुआ।
युद्ध के दौरान फ्रांस की सेनाओं द्वारा अन्य देशों की लूट में प्राप्त कलात्मक पुरातात्विक वस्तुओं पर भी फ्रांस का अधिकार बना रहा। फ्रांस को युद्ध के दौरान ब्रिटेन के आधिपत्य में चले गए क्षेत्र पुनः प्राप्त हुए जैसे ग्वाडेलोप (Guadeloupe), जिसे ब्रिटेन ने स्वीडन को दिया था, 2 करोड़ 40 लाख फ्रांक्स की क्षतिपूर्ति स्वीडन को देने पर फ्रांस को पुन: वापस मिल गया।
2.स्पेन
1799 के ‘Peace of Basel’ के द्वारा फ्रांस को स्पेन से प्राप्त सैंटो डोमिंगो (Santo Domingo) के क्षेत्र पर पुन: स्पेन की सत्ता पुनर्स्थापित हुई लेकिन एक अन्य कैरेबियन क्षेत्र ‘सेंट-डोमिंगु (Saint Domingue)’पर फ्रांस की प्रभुसत्ता का सैन्य कमांडर ‘जीन जैक्स डेसांलिनेस’ द्वारा विरोध और उसे ‘हैती’ नामक स्वतंत्र देश घोषित करने के बावजूद 1824 तक ‘हैती’,के स्वतंत्र अस्तित्व को पता मान्यता नहीं दी गई।
3.ब्रिटेन
1814 कि पेरिस संधि की धारा VIII के तहत ब्रिटेन को फ्रांस से टोबैगो और सेंट लूसिया द्वीप तथा Isle of France अर्थात मॉरीशस और उस पर निर्भर क्षेत्र रॉड्रिक्स और सेशेल्स प्राप्त हुए ब्रिटेन का अधिकार माल्टा और हेलिगोलैंड पर स्थापित हुआ। ब्रिटेन को ग्रीस में स्थित आयोनियन द्वीप (United States of the Ionian Islands) का संरक्षण भी प्राप्त हुआ।
1814 की पेरिस संधि में एक प्रस्ताव तैयार किया गया जिसकी धारा 32 के तहत नेपोलियन के साथ युद्धरत सभी देशों की अगले 2 महीने में एक कांग्रेस के आयोजन का निर्णय किया गया इस प्रावधान का प्रतिफल सितंबर 1814 से जून 1815 के मध्य आयोजित वियना कांग्रेस थी।