वियना कांग्रेस के प्रावधान यूरोपीय राष्ट्रों के राजनीतिक संबंधों में युगांतकारी परिवर्तन के प्रेरक थे। वियना के राजनयिकों ने अतीत को पुनर्जीवित करने के प्रयास को निरर्थक मानकर पवित्र रोमन साम्राज्य की पुनर्स्थापना की कोशिश नहीं की तथा 300 पोप शासित राज्यों का 39 राज्यों में पुनर्गठन ने जर्मनी के भावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। केंद्रीय यूरोप में ऑस्ट्रिया का संकेंद्रण, भविष्य में जर्मन राजनीति में से उसके राजनीतिक अलगाव का प्रथम चरण था। सार्डिनिया को सशक्त बनाने से वहां शक्तिशाली नेतृत्व क्षमता का प्रादुर्भाव हुआ। ये दोनों तथ्य यूरोप की राजनीति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना और राजनीतिक परिवर्तन जर्मनी और इटली के एकीकरण में नीव का पत्थर सिद्ध हुए।
19वीं सदी में वियना समझौते की प्रासंगिकता की आलोचना उदारवादियों और राष्ट्रवादियों ने की है तथा इसे प्रतिक्रियावादी शक्तियों की विजय कहा है। वस्तुत: फ्रांसिसी विदेश मंत्री ‘तालिरां’ द्वारा प्रतिपादित ‘वैधता का सिद्धांत’ पुरातन व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास था तथा राजवंशों के हितों के लिए राष्ट्रीयता की भावना की अनदेखी ‘वियना-व्यवस्था’ में की गई, जैसे – नॉर्वे का स्वीडन में विलय, इटली के लोम्बार्डी और वेनेशिया को ऑस्ट्रिया के अधीन करना, हालैंड (नीदरलैंड) में बेल्जियम का विलय। स्पष्ट है कि, वैधता की व्याख्या मनमाने ढंग से की गई तथा जनता की इच्छाओं और संघर्षों को नकार दिया गया।
वियना के अन्य नीति-निर्धारक सिद्धांत – पुरस्कार, क्षतिपूर्ति एवं सजा का प्रयोग भी विरोधाभासी ढंग से किया गया, यथा, फ्रांस में केवल नेपोलियन बोनापार्ट और उसके परिवार को दोषी ठहराया गया तथा बूर्बों राजवंश एवं फ्रांस के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया गया लेकिन इसी मापदंड के तहत केवल सैक्सनी के शासक को दंडित कर सैक्सनी की अखंडता स्वीकृत नहीं की गई। पोलैंड, क्रांति काल में दो बार विभाजित हुआ लेकिन उसकी राष्ट्रीय अखंडता की मांग को दरकिनार किया गया।
वियना कांग्रेस का एक अन्य उद्देश्य ‘शक्ति-संतुलन’ का सिद्धांत भी खोखला सिद्ध हुआ। प्रशा, रूस और फ्रांस ने विस्तारवादी नीति अपनाई। क्रांतिकालीन और नेपोलियन के विरुद्ध हुए युद्धों में शक्तिशाली देश के रूप में प्रतिष्ठित ब्रिटेन की शक्ति में भी औपनिवेशिक विस्तार से वृद्धि हुई । वियना व्यवस्था की कतिपय विसंगतियों के बावजूद इसके राजनयिकों के तीन प्रमुख योगदान को रेखांकित किया जा सकता है
फ्रांस के साथ उदार संधि
“देशों को पराजय में निडर और विजय में उदार होना चाहिए”, इस कूटनीतिक सिद्धांत के तहत वियना व्यवस्था में फ्रांस के साथ उदार नीति अपनाई गई। फ्रांस में पुनर प्रतिष्ठित सम्राट पर दंडात्मक शांति नहीं तो पी गई तथा या भाव यह भाव संधि में शामिल था की अंततोगत्वा फ्रांस को पुणे बड़ी शक्तियों के मध्य स्थान मिलना चाहिए अतः वियना की इस संधि का पालन लगभग एक शताब्दी तक फ्रांस ने किया यूरोप में शांति कायम रखने वियना में स्थापित व्यवस्था को सुरक्षित रखने तथा उदारवादी सिद्धांतों के दमन के उद्देश्य के तहत वियना कांग्रेस के अधिवेशन में दो प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे एक था रूस के जार एक जेंडर द्वारा प्रस्तुत पवित्र संघ की योजना और दूसरा द्वारा प्रस्तुत चतुरदास मैत्री की योजना इन दोनों योजनाओं पर आधारित यूरोपीय अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को सामूहिक विचार व्यवहार से समझाने का प्रथम सुलझा ने का प्रथम महत्वपूर्ण प्रयास था शांति व्यवस्था कायम रखना विएना कांग्रेस युद्ध और शांति के मध्य एक एक सीमा रेखा के समान थी 17 वीं शताब्दी के प्रारंभ में शुरू हुए 30 वर्षीय युद्धों से लेकर नेपोलियन के युद्धक तक युद्ध तक 200 लगभग 200 वर्षों का यूरोपीय इतिहास निरंतर युद्धों का इतिहास था दिया ना वियना कांग्रेस के बाद यूरोप में 40 वर्षों तक कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ युद्धों के बीच इतना लंबा अंतराल यूरोप में एक स्वप्न के सदृश था निष्कर्ष गिव इट डेविड टॉमसन के अनुसार वियना संधि पर राजनीतिक परिपक्वता और तर्कसंगत ता की छाती छाप थी इसका मुख्य उद्देश्य मुख्य दोस्त यही था किसने कि इसने राष्ट्रवाद की शक्ति और गति को का उचित मूल्यांकन नहीं किया वस्तुतः वियना की राजनयिकों का मूल्यांकन आधुनिक राष्ट्रवाद और उदारवाद के मापदंड पर नहीं किया जा सकता तथा उस राजनीतिक परिदृश्य में जहां राष्ट्रवाद और उदारवाद की विचारधाराएं एवं शक्तियां शैशवावस्था में थी वियना कांग्रेस के निर्णय यूरोपीय प्रणाम परंपराओं क्षेत्र और निवासियों के हस्तांतरण के सर्वथा अनुरूप थे वियना के निर्णय करता परस्पर विरोधी गीतों एवं संधियों से बाध्य थे अतः व्यापारिक राजनीति में वियना कांग्रेस इसरो प्रमुख उपलब्धि थी किसने यूरोप लगभग इसने हीरो को लगभग यूरोप को लगभग आधी शताब्दी की शांति प्रदान की जिसकी आकांक्षा 1815 ईस्वी में अधिकांश यूरोप वासियों को थी।