नेपोलियन बोनापार्ट की पुनर्वापसी और अंतिम निर्वासन

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वियना में आयोजित सम्मेलन के दौरान घटित एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में फरवरी 1815 में नेपोलियन बोनापार्ट के, ‘एल्बा द्वीप’ की कैद से भाग कर फ्रांस वापसी और फ्रांसीसी जनता के समर्थन से पुन: फ्रांस की सत्ता प्राप्त करने की घटना से पुन: युद्ध का आरंभ हो गया। वियना कांग्रेस में शामिल राष्ट्रों ने 9 जून 1815 को संधि के मसौदे पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर कर दिया।

वियना कांग्रेस के अंतिम प्रारूप पर हस्ताक्षर के 9 दिनों के बाद 18 जून 1815 को नेपोलियन बोनापार्ट को अंतिम रूप से परास्त कर सेंट हेलेना द्वीप में निर्वासित कर दिया गया तथा पुन: 8 जुलाई 1815 को, ‘लुई XVIII’ फ्रांस का सम्राट बना। फ्रांस और वहां की सत्ता पर काबिज़ नेपोलियन को वाटरलू में पराजित करने वाली यूरोपीय शक्तियों – ब्रिटेन, प्रशा, रूस और ऑस्ट्रिया के ‘Quadruple Alliance (चार का संघ)’ के मध्य पेरिस में शांति-वार्ता आरंभ हुई तथा नवंबर 1815 में संधि हुई, जिसे पेरिस की द्वितीय संधि कहा जाता है।

पेरिस की द्वितीय संधि (1815)

  1. 1815 की पेरिस संधि की शर्तें फ्रांस के लिए 1814 की संधि की अपेक्षा कठोर थी। फ्रांस को 700 मिलियन फ्रांक की राशि 5 वार्षिक किस्तों में क्षतिपूर्ति के रूप में देनी पड़ी तथा 1790 92 के कालखंड में फ्रांस कि क्रांतिकालीन सरकार द्वारा हस्तगत भू-भाग को छीन कर फ्रांस की सीमा 1790 में प्राप्त फ्रांस की सीमा तक सीमित कर दी गई।
  2. फ्रांस को युद्ध में अपने विरोधी गुट में शामिल पड़ोसी देशों द्वारा आत्मरक्षा हेतु की जाने वाली सैन्य किलेबंदी में लगने वाली राशि भी हर्जाना के तौर पर अदा करनी पड़ी।
  3. फ्रांस को इन शर्तों को पूरा करने तक अपनी पूर्वी सीमा अर्थात इंग्लिश चैनल से स्विट्जरलैंड की सीमा तक लगे हुए क्षेत्रों पर 150,000 विदेशी सैनिकों को 5 वर्षों तक रखने और उनका खर्च उठाने का प्रावधान किया गया।
  4. ब्रिटेन और फ्रांस के मध्य हुई संधि पर ब्रिटिश प्रतिनिधियों ‘लॉर्ड कासलरिया’ और ‘ड्यूक ऑफ वेलिंगटन’ तथा फ्रांस की ओर से ‘Richelieu (रिचेलिएउ) के 5th Duke’ ने हस्ताक्षर किए। इसके समानांतर चार का संघ के अन्य तीन देश ऑस्ट्रिया, प्रशा, रूस कि फ्रांस के साथ हुई संधियों ने यूरोप में पहले परिसंघ का राजनीतिक स्वरूप कायम किया।

‘Quadruple Alliance’ के देशों प्रशा, ब्रिटेन, रूस और ऑस्ट्रिया ने 20 नवंबर 1815 को एक पृथक संधि पर भी हस्ताक्षर किया तथा 4 देशों के इस संघ को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया। इस संधि ने यूरोपीय कूटनीति को एक नया विचार दिया जिसके तहत यूरोप में शांति  बनाए रखने के लिए ‘शांतिकालीन-कांग्रेस (Peacetime Congress)’  के आयोजन पर सहमति बनी। इस उद्देश्य के अंतर्गत ‘वियना से वेरोना’ तक 1818-1822 के मध्य चार कांग्रेस हुए जिन्हें संयुक्त रूप से ‘यूरोपियन कन्सर्ट’ की संज्ञा दी गई है।

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